वहीं कामां के सुरहेरा में 40 हैक्टेयर व चामड़ माता क्षेत्र में 50 हैक्टेयर, डीग के सेऊ में 10 और रैंज बयाना में आंख वाला डंडा में 100 हैक्टेयर भूमि वन क्षेत्र है। सब मिलाकर दो सौ हैक्टेयर वन क्षेत्र में भी पौधारोपण कम हुआ है, जिससे लक्ष्य पर प्रभाव पड़ेगा। इस वन क्षेत्र में 40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन अभी तक यहां लगभग 30 हजार 5 सौ पौधे लगाए जा सके हैं।
भरतपुर में केंद्रीय व कंपनी बाग व बयाना, वैर, खेडली मोड, हलैना, डीग आदि स्थानों पर पौधशालाएं हैं। यहां लक्ष्य के अनुरूप करंज, नीम, पीपल, शीशम, जामुन, गुलमोहर, अनार, कदम्ब, गूलर, गुलाब, अमरूद आदि के पौधे तैयार कर वितरण और वन क्षेत्र में रोपण के काम लिया जाता है। लोग अपने खेत-खलिहान, घर के आंगन, विद्यालयों, पार्कों में विभिन्न किस्मों के पौधे लगाने के लिए पौधाशाला से खरीदारी करते हैं।
वनविभाग भरतपुर में वन अधिकारी वी केतन का कहना है कि बारिश नहीं होने से पौधों के वितरण और वन क्षेत्र में पौधे रोपने के कार्य पर प्रभाव पड़ा है। लोगों में पौधों की डिमांड बारिश ना होने से कम हो गई है। बारिश आएगी तो डिमांड भी बढ़ेगी।