करीब 131 साल के इतिहास में पहली बार नहीं लगेगा कैलादेवी झील का बाड़ा मेला
-चैत्र नवरात्रा में भी नहीं लग पाया था मेला

भरतपुर/बयाना. करीब 131 साल के इतिहास में पहली बार कैलादेवी झील का बाड़ा में शारदीय नवरात्र में मेला नहीं लगेगा। नवरात्र में लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। देवस्थान विभाग ने मेले का आयोजन स्थगित कर दिया है।
देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त कृष्ण कुमार खण्डेलवाल ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के अनुसार 31 अक्टूबर तक सामाजिक, राजनैतिक, खेल, मनोरंजन, अकादमिक, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम तथा अन्य बड़े सामूहिक आयोजन अनुमत नहीं होंगे। 17 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक कैला देवी झील का बाड़ा शारदीय नवरात्र मेला बड़ा धार्मिक आयोजन प्रस्तावित था। इसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसलिए राज्य सरकार की गाइडलाइन की पालना में इस वर्ष इस मेले को स्थगित रखने का प्रस्ताव देवस्थान आयुक्त तथा जिला कलक्टर को भिजवा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि मार्च-अप्रेल माह में चैत्र नवरात्र में भी लॉकडाउन के चलते मेला स्थगित कर दिया गया था। साहित्यकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि मेले का आयोजन महाराजा किशन सिंह के समय 1890 में शुरू हुआ था। कैलादेवी की मूर्ति महाराजा रणजीत सिंह के समय में लगाई गई थी। पूर्व राजपरिवार की ओर से कुलदेवी के रूप में पूजा होती है। बयाना के झील का बड़ा मंदिर पर लगे पुजारी ब्रजकिशोर शर्मा ने बताया कि मेला 1965 से पहले पूर्व राजपरिवार के एक निजी ट्रस्ट के अनुसार चलता था उसके बाद देवस्थान विभाग के अधीन हो गया और वह खुद सन 1978 में 10 साल के थे तब से झीलकाबाड़ा में देख रहे हैं। अब तक जितना ध्यान है उससे स्पष्ट है कि कभी मेला स्थगित नहीं हुआ।
1924 में बना था मंदिर परिसर में रवि कुंड
मन्दिर के सामने बने रवि कुण्ड को 12 अप्रेल 1924 को पूर्व महाराजा बिजेन्द्रसिंह के जन्मदिन के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। इस कुण्ड के निर्माण को लेकर एक बीजक मन्दिर में लगा है। इससे रविकुण्ड अमृत झरना के निर्माण को स्पष्ट किया है। मेले में करीब 500 दुकानें भी लगाई जाती है। करीब 15 से 20 दुकानें तो अब हमेशा लगी रहती है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते जाते रहते हैं परंतु इस बार व्यापारियों को भी निराश होना पड़ेगा।
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