गौरव ने तीन पहले यूरोप के जॉर्जिया की त्विलिसी मेडिकल अकादमी में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया था। यहां वह करीब छह माह रहा और बाद में मन नहीं लगने पर वह पढ़ाई बीच में छोड़ कर घर लौट गया। उसके बाद उसने किर्गिस्तान की यूर्निवसिटी में आवेदन किया, जहां उसका दाखिला हो गया। वह वर्तमान में द्वितीय की पढ़ाई कर रहा था।
परिजनों ने बताया कि वह सितम्बर में किर्गिस्तान से घर खखावली आया था। यहां कुछ दिन रहने के बाद वह वापस विदेश लौट गया। उसका एक बड़ा भाई पवन गुर्जर है जो पिता के कटर थ्रसर मशीन बनाने के कारोबार में सहयोग करता है। परिजनों ने बताया कि शुरू से ही वह पढ़ाई में होशियार था और वह डॉक्टर बनना चाहता था। अचाकन हुई घटना से परिवार टूट गया है। पिता का कहना था कि वह उसके डॉक्टर बनकर देश लौटने का इतंजार कर रहे थे, उन्हें नहीं मालूम था कि एक दिन उसका शव लेने जाना पड़ेगा।