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कर्जा लिया नहीं फिर भी ऋणमाफी की सूची में दर्ज है नाम

locationभरतपुरPublished: Jan 16, 2019 10:31:39 pm

Submitted by:

pramod verma

भरतपुर. सहकारी समितियों के स्तर पर किसानों की ऋण माफी में लाखों का घोटाला उजागर होने की संभावना है।

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भरतपुर. सहकारी समितियों के स्तर पर किसानों की ऋण माफी में लाखों का घोटाला उजागर होने की संभावना है। इसलिए सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेकश के निर्देश पर जिले में ११ शाखाओं में एक निरीक्षक व एक ऋण पर्यवेक्षक की ११ टीम अलग-अलग स्थानों पर जांच में लगी है।
आशंका है कि समितियों से उन किसानों के नाम पर ऋण उठाया गया है, जिन्हें ऋण मिला ही नहीं। कुछ ऐसे भी किसान हैं, जिनकी मृत्यु वर्षों पहले हो चुकी है मगर उनके नाम ग्राम सेवा सहकारी समिति की दीवार पर ऋणमाफी की चस्पा सूची में लिखे हैं। ऐसे में घोटाले की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
जिले में २६४ ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ११ शाखाएं संचालित हैं। इनमें सदस्य बने किसानों को कोपरेटिव बैंक फसली ऋण देती है। इस एवज में समितियों ने करीब ७० हजार किसानों को २ अरब ४४ करोड़ ४४ लाख ७५ हजार रुपए का ऋण दे दिया। यह स्थिति तब सामने आई जब ऋण नहीं लेने वाले किसानों को मोबाइल पर मैसेज मिला। तब बात सामने आई कि ऋण लिया ही नहीं तो माफी कैसी। इसलिए डीग के गांव परमदरा व धमारी के किसानों सड़क पर उतरकर सैऊ में विरोध जताया।

सूत्रों का कहना है कि व्यवस्थाओं में ही खामी है। क्योंकि, ग्राम सेवा सहकारी समितियां ऑनलाइन नहीं हैं और किसान अनपढ़ है तो समितियों ने लॉन दिलाने के लिए उनके कागजात रख लिए थे। इस आधार पर जो आंकड़े समितियों ने मुख्यालय पर प्रस्तुत किए वही पोर्टल पर चढ़ाए गए। ऋण माफी का मैसेज और दीवार पर चस्पा सूचियां देखी तो मामला गड़बड़ नजर आया। अब टीम समितियों के वहिखातों और चस्पा सूची में दर्ज नाम का मिलान व अन्य जानकारियां जुटाने में लगी हैं। अब संभाग मुख्यालय पर स्थित सेंट्रल कॉपेरटिव बैक के अधिकारियों का कहना है कि

ऐसे में डीग के गांव परमदरा के ३९० किसान और गांव धमारी के करीब ५०० किसानों को ऋणमाफी के दायरे में शामिल होना बताया जा रहा है। इनका कहना है कि जब ऋण नहीं मिला तो माफ कैसे हुआ और सूची में चस्पा कैसे हो गया। इसके चलते किसानों ने बुधवार को सैऊ में जाम लगाकर जांच की मांग की। मौके पर पहुंचे एसडीएम में समझाइश कर जाम खुलवाया।

सहकारिता विभाग के उपरजिस्ट्रार सत्येंद्र मीणा का कहना है कि टीम अलग-अलग जांच कर रही है। टीम को सात दिन का समय दिया है। रिकॉर्ड देखकर सूचियां बना रहे हैं, अगर किसी किसान को आपत्ति है तो वह अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकता है।
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