गौरतलब है कि विभाग को समयावधि के अनुरूप पांच वर्ष में पशु गणना करनी होती है। यह राज्य सहित जिले में वर्ष 2012 में की गई। तब जिले में 1.66 लाख गाय और 8.36 लाख भैंसवंश का आंकलन किया गया। वहीं राज्य में 01 करोड़ 29 लाख 76 हजार 95 भैंसवंश व 01 करोड़ 33 लाख 24 हजार 462 गायवंश की गणना की गई थी। इसके बाद पशुगणना वर्ष 2017 में करानी थी, लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया से कराने के कारण एक वर्ष तक लटकी रही।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. नगेश चौधरी ने बताया कि पशु गणना में एक वर्ष की देरी होने का कारण ऑनलाइन से होना है। इसके लिए जिले में 120 और राज्य में करीब 6500 पशुधन सहायकों को प्रशिक्षित किया है। वहीं जिले के पशुधन सहायकों को 78 टेबलेट कम्प्यूटर दिए हैं। इससे यह गांवों में पशुपालकों के घर जाकर गणना का कार्य कर रहे हैं। यह गणना दो माह के निर्धारित समय में करनी है। तभी राज्य व जिले में पशुओं की स्थिति सामने आ पाएगी।