एक दृढ़ संकल्प से बदल दी दुनिया डॉ. माधुरी बताती हैं कि एक दृढ़ संकल्प बड़ी से बड़ी चट्टान को ढहाने का माद्दा रखता है। वह बताती हैं कि खुद की संतान नहीं करने का फैसला इतना आसान कतई नहीं था। रिश्तेदार, समाज और परिवार की चाहत कुछ और ही थी, लेकिन हम दोनों का मन समाजसेवा के रास्ते पर चल पड़ा था। ऐसे में हमारे दृढ़ संकल्प के सामने कोई भी चुनौती ठहर नहीं सकी। इसी का नतीजा है कि आज डॉ. माधुरी सैकड़ों बच्चों की ममतामयी मां के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं।
सोचा, दुनिया में क्यूं आए डॉ. माधुरी कहती हैं कि यह ख्याल हर इनसान के जेहन में आना ही चाहिए कि वह इस दुनिया में क्यों आए हैं और उनकी जिंदगी का क्या उद्देश्य है। मेरे मन में भी शुरू से ही यही भाव थे। वे बताती हैं कि आगरा में रहते हुए मैंने ताज एवं फोर्ट के आसपास बच्चों को भीख मांगते देखा। साथ ही उनकी बेकद्री भी देखी, जो सही मायनों में मुझसे देखी नहीं गई। इसके बाद मैंने सोचा कि इस जिंदगी का लक्ष्य क्या है। बस यहीं से दूसरों के लिए जिंदगी जीने की ठान ली और आज मेरा सर्वस्व जीवन ऐेस लोगों के लिए समर्पित है।
राय से नहीं उदाहरण से बदलती है दुनिया डॉ. माधुरी बताती हैं कि हर काम में हजार अड़चन आती हैं। ऐसे में हमारा दृढ़ संकल्पित होना बेहद जरूरी है। हम किसी को राय दें तो जरूरी नहीं वह मान ले। ऐसे में दुनिया को बदलने के लिए हमें उदाहरण पेश करने होते हैं। शुुरुआत में हमारे इस फैसले को लेकर कई अड़चनें सामने आईं, लेकिन संकल्प के सहारे हम चुनौतियों को पार कर सके। इसी के चलते हमने सेवा का उदाहरण पेश किया और अब अपना घर में रहने वाले ‘प्रभुजी ही हमारी दुनिया हैं।
कुछ करने से संवरेगा गणतंत्र डॉ. माधुरी कहती हैं कि गणतंत्र को सही दिशा में ले जाने की जिम्मेदारी सभी की है। समाज के हर वर्ग की कुछ न कुछ जरुरतें हैं, जिसे वह सेवा के माध्यम से पूरी कर सकते हैं। हर व्यक्ति को ईश्वर ने दूसरे के हिस्से का भी कुछ दिया है। ऐसे में हर शख्श को दूसरों की सेवा से विमुख नहीं होना चाहिए। डॉ. माधुरी का कहना है कि ऐसा नहीं है कि सब कुछ पैसे के बल पर ही किया जाए। ईश्वर ने यदि हमें स्वस्थ दिमाग, स्वस्थ शरीर एवं ज्ञान दिया है तो यह ईश्वर की बहुत बड़ी नेमत है। इसके जरिए हम समाज के लिए कुछ न कुछ कर सकते हैं। बीमार को दवा, भूखे को खाना एवं लाचार को सहायता देकर भी हम समाज के लिए कुछ कर सकते हैं। इसके लिए धारणा अच्छी बनानी होगी। उनका कहना है कि वह समाजसेवा के जरिए दीन-हीन बच्चों को अच्छी शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य एवं बेहतर ज्ञान देने का प्रयास कर रही हैं, इससे वह समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें। इसके लिए आश्रम में रहने वाले सभी बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और संस्कार दिए जा रहे हैं, इससे वह भविष्य में खुद को किसी से कमतर नहीं आंकें। समाज में ऐसी सोच विकसित होने से हम गणतंत्र को मजबूत करने में कामयाब हो सकेंगे।