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इन्होंने मेहनत और संघर्ष के दम पर पाया सफलता का मुकाम

locationभरतपुरPublished: Aug 05, 2020 09:26:26 am

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-जिले में युवाओं ने रचा यूपीएससी के परिणाम में इतिहास

इन्होंने मेहनत और संघर्ष के दम पर पाया सफलता का मुकाम

इन्होंने मेहनत और संघर्ष के दम पर पाया सफलता का मुकाम

चिराग जैन: एक बार जो तय कर लिया तो उसे पाना भी बहुत आसान
-भारतीय सिविल सेवा में 160वीं रैंक

डीग. कस्बा निवासी चिराग जैन ने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 160 वीं रैंक प्राप्त की है। एमएनआईटी जयपुर से मैकेनिकल में बी-टेक करने वाले चिराग ने यह सफलता तीसरी बार में प्राप्त की है। उन्होंने बताया की वर्ष 2015 में उनका टाटा मोटर्स में कैंपस सलेक्शन हो गया। एक वर्ष तक पुणे में नौकरी करने के बाद 2016 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की। पहली बार में वह मेंस परीक्षा में रह गए। दूसरी बार में वह इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाए। अब तीसरी बार में जाकर उन्हें यह सफलता मिली है। वह बोले कि कठिन परिश्रम के साथ-साथ धैर्य बनाए रखें। वह एक बार और भारतीय सिविल सेवा परीक्षा देकर आईएएस बनने की कोशिश करेंगे। चिराग अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता के आशीर्वाद गुरुजनों के मार्ग दर्शन और साथियों के सहयोग को देते हैं। उनका कहना है कि वह भारतीय पुलिस सेवा के माध्यम से अब पीडि़त शोषित लोगों को न्याय दिलाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। उनके पिता धर्मेंद्र जैन चिकित्सा विभाग में सहायक प्रशासनिक अधिकारी हैं। जबकि मां लक्ष्मी देवी ग्रहणी है। छोटा भाई अभिषेक जैन भारतीय इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी कर रहा है।


डॉ. राममोहन: पहले डॉक्टर बने और अब प्राप्त की 802वीं रैंक

वैर. गांव जगजीवनपुर निवासी 32 वर्षीय डॉ. राममोहन मीणा ने बिना किसी कोचिंग के सहारे खुद की मेहनत के दम पर यूपीएससी में तीसरे प्रयास में 802वीं रैंक हासिल की है। डॉ. राममोहन मीणा ने पत्रिका से बातचीत करने पर बताया कि वह लगातार तीसरी बार में यह सफलता हासिल कर पाए हैं। सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए बताया कि वह झुंझुनू के इंदली सीएचसी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत हैं। आठ वर्ष पहले उनकी शादी हो चुकी है। नौकरी और परिवार के साथ यूपीएससी की परीक्षा दे पाना बहुत ही संघर्षपूर्ण अनुभव रहा। पिछले दो बार असफलता हाथ लगी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। तीसरी बार में जाकर सफलता मिली तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है। पत्नी डॉक्टर अंकिता भी चिकित्सक के रूप में कार्यरत हैं।

पुष्पेंद्र: बहन के चयन के बाद ठाना कि कुछ न कुछ बड़ा ही करना

बयाना. बहन के भारतीय सिविल सेवा में चयन होने के बाद भाई को भी उमंग जाग उठी थी। उधर बहन ने भी प्रेरित किया तो भाई को भी भारतीय सिविल सेवा में सफलता मिली है। उपखंड के गांव चौखंडा निवासी पुष्पेन्द्र उर्फ प्रशांत ने 706वीं रैंक प्राप्त की है। इससे पहले 2016 में बड़ी बहन प्रीति का भी चयन हुआ था। चाचा बदनसिंह मीणा ने बताया है कि पुष्पेन्द्र की बड़ी बहन प्रीति गहलोत का भी 2016 में भारतीय सिविल सेवा में चयन हुआ था। पुष्पेन्द्र ने बताया कि वह माता विजय लक्ष्मी व पिता चूरामन के साथ नोएडा दिल्ली में रहते हंै। उनकी बड़ी बहन है। उसका चयन भी पहले हो गया था जो कर्नाटक में कार्यरत है। उनके चयन के बाद बहन ने उसे तैयारी करने के लिए प्रेरित किया। बहन के मार्ग दर्शन से ही इस मुकाम को हासिल किया है। उन्होंने बताया कि तीन साल के बाद परिणाम आया है और परिजनों को खुशी मिली है। उनके पिता ने बताया कि वह इंडियन ऑयल कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर काम करते है और माता गृहणी है। उन्होंने बताया उनके एक बेटा पुष्पेन्द्र व एक बेटी प्रीती ही है और दोनों के चयन होने से उन्हें बेहद खुशी मिली है।

डॉ. जितेंद्र: 10वीं करते ही लिया था प्रण कि बनना है आईपीएस

बयाना. गांव नगलातुला निवासी डॉ. जीतेन्द्र अग्रवाल का भारतीय सिविल सेवा में चयन हुआ है। डॉ. जितेंद्र अग्रवाल ने भारतीय सिविल सेवा में 128 वीं रैंक प्राप्त की है। जीतेन्द्र का जन्म बयाना के भीतरबाडी मोहल्ला में हुआ था। वह शुरू से ही पढाई लिखाई में अव्वल रहा है। उसके पिता मुरारीलाल जिंदल व्यवसायी व मां मायादेवी जिंदल गृहणी है। जिन्होंने बताया कि उनका पुत्र जीतेन्द्र अग्रवाल ने वर्ष 2010 में एमबीबीएस व 2014 में एमडी कर गुजरात चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवाएं दी थी। अब वह गुजरात प्रशासनिक सेवा में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर गांधीनगर में तैनात है। भारतीय सिविल सेवा में पहले ही प्रयास में उसने 128वीं रैंक प्राप्त की है। डॉ. जीतेन्द्र की पत्नी भी इसरों में प्रशासनिक अधिकारी है।

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