ऐसे में तीनों विधवाओं ने सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पेंशन पाने के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की।मृतक नहनू की दस माह पूर्वमौत होने के बाद पत्नी किशना ने 26 फरवरी 2019 को, इसी परिवार के बिरजू की चार महीने पूर्वमौत होने के बाद पत्नी बैजन्ती ने सात मई 2019 को पेंशन आवेदन कर ऑनलाइन करा दिया और आवेदन पत्रों को तहसील कार्यालय में भी जमा करा दिया, लेकिन इनकी पेंशन अभी तक शुरु नहीं हो सकी है।
वहीं तीसरे भाई मुकेश की पत्नी सुमन ने विधवा पेंशन बनवाने के लिए ऑनलाइन कराने से पूर्व भामाशाह कार्ड मेंसंशोधन के लिए तीन माह पूर्व आवेदन किया था, लेकिन सुमन के भामाशाह से अभी तक पति का नाम नहीं हटाए जाने के कारण पेंशन आवेदन नहीं हो पा रहा है। इस परिवार की किशना ने बताया कि घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है।
तीनों भाई दस बच्चों को छोड़कर इस दुनियां से चले गए हैं। ऐसे में बच्चों के पालन पोषण के लिए वह मजदूरी कर रही हैं,लेकिन सरकारी स्तर पर विधवाओं को मिलने वाली सुविधाओं से वो वंचित हैं। किशना एवं बैजन्ती ने बताया कि वह पेंशन चालू कराने के लिए रूपवास तहसील एवं पंचायत समिति कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुकी हैं।
पेंशन शुरू हो जाती तो बच्चों को पालनहार योजना का लाभ भी मिलना शुरू हो जाता। इनका दर्द है कि अशिक्षित होने के कारण उन्हें दिलासा देकर वापस भेज दिया जाता है, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा जबकि बाद में आवेदन करने वाले लोगों की पेंशन शुरू हो गई है।
ज्ञात रहे कि इस गांव में सिलिकोसिस बीमारी के कारण जाटव एवं कोली बस्ती के कई युवा मजदूर मौत के मुंह में चले गए हैं और इनकी विधवाएं आज भी अशिक्षा एवं जानकारी के अभाव में सरकारी सुविधाओं को पाने के लिए भटक रही हैं।