46 ट्रॉली पुलरों को भेजा घर कोविड-19 के लिए करीब 50 ट्रॉली पुलर मरीजों की सहूलियत के लिए मांगे गए थे। इनमें से अस्पताल प्रशासन को 46 ट्रॉली पुलर ही मिले थे। बुधवार को अस्पताल से इनकी छुट्टी कर दी गई। इन्हें हटाने के पीछे की वजह बजट नहीं होना बताया गया है।
उधार की राशि से कर रहे भुगतान आरबीएम अस्पताल की आमदनी फिलहाल शून्य नजर आ रही है। वहीं खर्चा रुपैया जैसी स्थिति बन गई है। कोरोना काल में लगाए गए कार्मिकों का काफी पैसा अस्पताल प्रशासन पर चढ़ गया। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने इधर-उधर चि_ी लिखी। इसके बाद जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता की ओर से अस्पताल को 30 लाख रुपए की राशि उधार दी गई। इस उधार की राशि से ऐसे कार्मिकों का भुगतान किया जा रहा है। जिला कलक्टर की ओर से मिली राशि से जून तक का हिसाब किया जा रहा है। खास बात यह है कि अस्पताल प्रशासन को यह राशि बाद में चुकानी होगी। अब अस्पताल प्रशासन ने आमदनी नहीं होने के कारण ऐसे कार्मिकों को घर का रास्ता दिखा दिया है।
रुकी लिफ्ट, बढ़ी परेशान आरबीएम अस्पताल की बड़ी लिफ्ट गुरुवार को अचानक रुक गई। ऐसे में लाचार मरीज एवं दिव्यांगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। मरीजों के परिजनों ने बताया कि दोपहर के समय बड़ी लिफ्ट अचानक रुक गई। इस दौरान कुछ मरीज ऐसे थे, जो सीढिय़ों से चलकर ऊपर नहीं पहुंच सकते थे। ऐसे में वह लिफ्ट चालू होने का इंतजार करते रहे। इस संबंध में मरीजों एवं उनके परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन देर तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी।
इनका कहना है बजट के अभाव में ट्रॉली पुलरों को हटाया है। कलक्टर साहब की ओर से लोन पर 30 लाख रुपए मिले हैं। इस राशि से कार्मिकों का जून माह तक का भुगतान किया जा रहा है। इस संबंध में राज्य सरकार को चिट्ठी भी लिख दी है। बजट की मांग पहले भी की जा चुकी है।
– डॉ. जिज्ञासा शाहनी, अधीक्षक एवं प्रमुख चिकित्सा अधिकारी आरबीएम भरतपुर