जांच को गिनाए आधा दर्जन कारण – 27 अप्रेल को वेंटीलेटर देना एवं 8 मई को राजस्थान प्रशासन द्वारा आदेश जारी करना संदेहास्पद है। वेंटीलेटर का किराया 2 हजार रुपए तय किया, जबकि जिंदल हॉस्पिटल ने 40 से 50 हजार तक वेंटीलेटर के वसूल कर रहा है। यदि प्रशासन की मंशा साफ होती तो 27 अप्रेल को ही किराये का आदेश पारित किया जाता।
– जिंदल हॉस्पिटल को दिए गए वेंटीलेटरों के जरिए गरीब मरीजों से जो पैसे वसूले गए, उन्हें वापस दिलाया जाए। – जिला एवं अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत से सरकारी संसाधनों का उपयोग बिना किसी प्रक्रिया के निजी अस्पताल को देने पर कार्रवाई की जाए।
– जिंदल हॉस्पिटल हमेशा विवादों में रहा है। इसके खिलाफ कार्रवाई हो, ताकि यह गरीबों को न लूट सके। – प्रशासन की ओर से वेंटीलेटर देना एक गठजोड़ है। इसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
– पूरे राजस्थान में हो रहे इस तरह के प्रकरणों में राज्य सरकार की सहभागिता की जांच की जाए।
सरकारी मिशनरी रसूखदारों की सेवा में जुटी -पूरी की पूरी सरकारी मशीनरी आज रसूखदारों की सेवा करती हुई नजर आ रही है। कोरोना के कारण आमजन चिकित्सा के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहा है, कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं वैक्सीन की कमी, कहीं वेन्टीलेटरों की मारामारी। मंत्री का इस ओर कोई ध्यान नहीं है वे तो केवल अपनी वाहवाही करने, अपनी पीठ थपथपाने के लिए प्रचार में लगे हुए है। नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
गिरधारी तिवारी
पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा
सरकारी मिशनरी रसूखदारों की सेवा में जुटी -पूरी की पूरी सरकारी मशीनरी आज रसूखदारों की सेवा करती हुई नजर आ रही है। कोरोना के कारण आमजन चिकित्सा के अभाव में तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहा है, कहीं ऑक्सीजन की कमी तो कहीं वैक्सीन की कमी, कहीं वेन्टीलेटरों की मारामारी। मंत्री का इस ओर कोई ध्यान नहीं है वे तो केवल अपनी वाहवाही करने, अपनी पीठ थपथपाने के लिए प्रचार में लगे हुए है। नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
गिरधारी तिवारी
पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा