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जमीन देखी, निर्णय सीएम करेंगी

locationभरतपुरPublished: Sep 11, 2015 11:32:00 pm

राजनीतिक खींचतान में उलझा
महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय की जमीन का मसला अब मुख्यमंत्री

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भरतपुर।राजनीतिक खींचतान में उलझा महाराजा सूरजमल ब्रज विश्वविद्यालय की जमीन का मसला अब मुख्यमंत्री के समक्ष मंत्रिमण्डल की बैठक मेें हल होगा। इसमें करीब एक महीना लग सकता है।

विश्वविद्यालय की जमीन आवंटन के लिए गठित चार मंत्रियों के दल ने शुक्रवार शाम को तीन स्थानों का निरीक्षण किया। यह दल अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को सौंपेगा। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सदस्य उच्च शिक्षामंत्री कालीचरण सर्राफ, राज्य शिक्षामंत्री वासुदेव देवनानी, जिले की प्रभारी मंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा ने विभागीय अधिकारियों के साथ तीनों स्थानों का बारी-बारी से निरीक्षण किया।


मंत्रियों के काफिले ने सबसे पहले कुम्हेर के बैलारा कलां स्थित जमीन का निरीक्षण किया, इसके बाद उन्होंने गढ़ी सांवलदास तथा एमएसजे कॉलेज परिसर मे विश्वविद्यालय को खड़ा करने को लेकर संभावनाओं को टटोलते रहे। बाद में सभी मंत्री सर्किट हाउस पहुंचे। यहां बातचीत के दौरान गृहमंत्री कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर तीनों स्थानों का निरीक्षण कर लिया गया है।


विश्वविद्यालय कहां बनेगा, इसका निर्णय महीने भर में मुख्यमंत्री के समक्ष मंत्रिीमण्डल की बैठक में होगा। मंत्रियों के साथ निरीक्षण के दौरान विधायक विजय बंसल, प्रिंसिपल सेक्रेटरी उच्च शिक्षा पी.के.गोयल, जिला कलक्टर रवि जैन, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.डी.स्वामी, नगर निगम मेयर शिव सिंह भोंट आदि मौजूद थे।

मंत्री की गाड़ी के सामने आए


सर्किट हाउस के बाहर ज्ञापन लेकर खड़े कई लोग गृहमंत्री की गाड़ी आती देख उसके सामने आ गए। इस पर कटारिया की गाड़ी रूक गई। मौके पर कुछ लोगों ने ज्ञापन दिया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को पीछे हटा दिया, इसके बाद कटारिया की गाड़ी आगे रवाना हो गई।


विश्वविद्यालय सौ साल के लिए

बातचीत के दौरान कटारिया ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के लिए न्यूनतम 30 एकड़ भूमि चाहिए। जबकि, मेरा मानना है कि विश्वविद्यालय 100 साल के लिए होता है, उसके सम्पूर्ण विकास के लिए करीब 50 एकड़ जमीन होना ही चाहिए।

खींचतान की झलक

विश्वविद्यालय के लिए गठित मंत्री स्तर की कमेटी जब तीनों स्थानों का निरीक्षण कर रही थी, तो मनचाहे स्थान पर विश्वविद्यालय बनवाने को लेकर राजनीतिक खींचतान की झलक भी खूब नजर आई। तीनों स्थानों पर विभिन्न जनप्रतिनिधि जमीन की उपयोगिता को बढ़चढ़कर बताते रहे।
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