सिर्फ बंध बारैठा-चिकसाना आबाद, शेष 39 रीते
भरतपुरPublished: Jul 25, 2023 09:06:09 pm
औसत से अधिक बारिश, फिर भी बांधों की स्थिति दयनीय, दो बांधों में बढ़ा जलस्तर, बाकी 39 बांध अभी भी सूखे


सिर्फ बंध बारैठा-चिकसाना आबाद, शेष 39 रीते
भरतपुर. जिले में जनवरी से लेकर अभी तक औसत से अधिक बारिश होने के बावजूद बांधों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। जिले के 41 में से सिर्फ दो बांधों का ही जलस्तर बढ़ा है, जिनमें बंधबारैठा व चिकसाना बांध शामिल हैं।
बारिश के आंकड़ों की बात करें तो एक जनवरी से लेकर अभी तक कुल 348.08 मिलीमीटर दर्ज की गई है, जो औसत से 58.08 मिलीमीटर अधिक है। एक जून से अभी तक की बात करें तो जिले में 24 जुलाई तक 225.53 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। सबसे अधिक भुसावर में 309 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। भरतपुर शहर में 156 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है। जबकि गत वर्ष इस समय दौरान जिले में हुई बारिश की बात करें तो वर्ष 2022 में 222.47 मिलीमीटर और 2021 में 171.84 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।
9 वर्षों में जिले की औसत बारिश
कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक देशराज ङ्क्षसह के अनुसार जिले में पूरे वर्ष दौरान औसत बारिश 663.9 मिलीमीटर है। जून में 45 मिलीमीटर, जुलाई में 200, अगस्त में 225 एवं सितम्बर में 125 और जनवरी से मई तक औसत 45 मिलीमीटर बारिश मानी जाती है। पिछले नौ वर्षों में हुई बारिश के आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2015 में 397 मिलीमीटर, 2016 में 686.72, 2017 में 399.09, 2018 में 801.50, 2019 में 593.34, 2020 में 540, 2021 में 779.34 एवं 2023 में 795.38 और वर्ष 2023 में जनवरी से 24 जुलाई तक 348.08 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
...तो रबी की फसल हो सकती है प्रभावित
जिले में एक जून से लेकर 24 जुलाई तक 225 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो गई, लेकिन अभी तक 41 में से 39 बांधों में पानी की आवक जीरो रही है। ऐसे में रबी की फसल प्रभावित हो सकती है। जानकारों का कहना है कि बांधों के नहीं भरने से जमीन का जलस्तर घटेगा। साथ में रबी की फसल में सिंचाई की परेशानी होने से फसल का क्षेत्र कम होगा तो उत्पादन भी कम होगा। क्योंकि खरीफ की फसल तो बारिश के दौरान पक जाएगी, लेकिन रबी की फसल को सिंचाई की ज्यादा जरुरत होती है। जिले के बंध बारैठा बांध से सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी की भी आपूर्ति की जाती है। बाकी अन्य बांधों से ज्यादातर सिंचाई ही होती है और जमीन का जलस्तर बढ़ाने का काम काम करते हैं। इनके नहीं भरने से सिंचाई के साथ-साथ जमीन का जलस्तर भी घटेगा।