हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारी, पटवारी और बीमा कंपनी के अधिकारियों की टीम फसल बर्बादी का जायजा लेने पहुंच गई है। इसलिए किसान अब उजड़ी फसलों को देखकर सहायता की उम्मीद लगा रहा है।
जिले में 3.90 लाख हैक्टेयर भूमि कृषि योग्य है, जहां 2.67 लाख किसानों का जीवन कृषि पर निर्भर है। इनमें से 02 लाख से अधिक किसानों ने 2.15 हैक्टेयर भूमि में सरसों की फसल खड़ी की है। वहीं 1.55 लाख हैक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल उगाई है। गेहूं को पानी की और जरूरत है, मगर सरसों की फसल कहीं खेतों में पकी खड़ी है तो कहीं कट चुकी है। ऐसे में सरसों की फसल उगाने वाले किसानों की फसल को ज्यादा नुकसान होने का अनुमान है।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डीपी सिंह ने बताया कि करीब 600 किसानों को लगभग 1600 हैक्टैयर में सरसों व गेहूं को नुकसान पहुंचा है। सबसे अधिक सरसों का आंकलन है। इसे देखते हुए विभागीय अधिकारियों के साथ बीमा कंपनी सर्वे कर रही है। सर्वे भी बीमा के हिसाब से हो रहा है। क्योंकि, उन्हीं किसानों को फसल खराबे का लाभ मिलेगा जिन किसानों ने फसल का बीमा कराया है। टीम खसरा संख्या और किस किसान ने किस फसल का बीमा कराकर कितनी राशि जमा कराई है। यह भी देखा जा रहा है।
ज्यादा नुकसान वाले कुम्हेर, डेहरा व अवार, डीग, खोह, नदबई, रूपवास व बयाना के क्षेत्र हैं। इन गांवों में ओलावृष्टि से सरसों फसल की पकी फलियां बिखर गई हैं। ऐसे में अलग-अलग क्षेत्रों में सरसों की फसल को 50 से 60 प्रतिशत नुकसान है, जहां कम बारिश है उन क्षेत्रों में 25 से 30 प्रतिशत नुकसान है।