जबकि, हनुमानगढ़, गंगानगर, कोटा, बूंदी और बारां में सरकार ने ऐसे गेहूं को छूट के साथ खरीदने के आदेश दे रखे हैं। इस रवैए से जिले के किसान निराश हैं। ऐसे किसानों का गेहूं खरीदने की प्रक्रिया के लिए रसद विभाग ने प्रमुख शासन सचिव फूड (एसीएसएफ) को पत्र लिखा है। पत्र में अन्य जिलों की तरह कम गुणवत्ता वाले गेहूं की खरीद पर प्रति क्विंटल 4 रुपए 60 पैसे की छूट भरतपुर में भी प्रभावी करने की मांग की है।
शासन सचिव ने मांग को प्रभावी कर दिया तो ऐसे गेहूं की खरीद से किसानों के नुकसान की भरपाई हो सकेगी। जिले में लगभग 1.75 लाख किसानों ने 1.5 लाख हैक्टेयर भूमि में गेहूं की फसल उपजाई। मगर, बारिश और अंधड़ से गिरे गेहूं के दानों की गुणवत्ता कम हो गई। जिले में ऐसे 06 हजार किसान हैं, जिनके करीब 01 लाख क्विंटल गेहूं की गुणवत्ता कम हुई है। ऐसे किसान अपनी किस्मत पर रोने के साथ खरीद की गुहार लगा रहे हैं।
लेकिन, खरीद के मापदंडों से बंधे एफसीआई और राजफैड बिना सरकार के आदेश के कम गुणवत्ता वाला गेहूं खरीदने में असमर्थ है। राजफैड ने भरतपुर, कुम्हेर, कामां, डीग, नगर, नदबई, वैर व बयाना में सहकारी क्रय-विक्रय केंद्रों के माध्यम से गेहूं की खरीद की तैयारी कर रखी है। वहीं एफसीआई ने रूपवास, पहाड़ी, जुरहरा, गोपालगढ़, सीकरी आदि में गेहूं की खरीद शुरू कर दी है।
एफसीआई इन केंद्रों पर पंजीकृत किसानों से प्रतिदिन करीब 05 हजार क्विंटल गेहूं खरीद रहा है। वह भी गुणवत्ता वाले गेहूं। यही स्थिति राजफैड की है। सूत्रों का कहना है कि राजफैड तय मापदंडों के अनुरूप ही गेहूं लेगा। फिलहाल राजफैड की बयाना में खरीद शुरू हो चुकी है, जहां पहले दिन 67.5 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई है। अन्य केंद्रों पर अब तक नहीं हो सकी।
कहा जा रहा है कि बारिश से गेहूं की गुणवत्ता कम हो गई है और किसान ऐसे गेहूं को लेकर आ रहे हैं, जिसे समर्थन मूल्य पर खरीदा नहीं जा रहा। राजफैड इसे मापदंडों के विपरित बता रहा है। जिला रसद अधिकारी बीना महावर का कहना है कि समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद जारी है। बारिश में भीगने पर कम गुणवत्ता वाले गेहूं को खरीदने के लिए प्रमुख शासन सचिव फूड को पत्र लिखा है। जल्द ही परमीशन मिल जाएगी। तब ऐसे गेहूं की खरीद होगी।