निर्दलियों पर टिकी है दोनों दलों का भरोसा जिस तरह से सभी निकायों में टिकटों का आवंटन किया गया है, उससे साफ है कि दोनों ही दलों के कुछ स्थानों पर मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल पाए हैं तो कुछ स्थानों पर आपसी फूट के चलते टिकटों का आवंटन नहीं हो पाया है। ऐसे में दोनों ही दलों की पालिकाध्यक्ष बनाने की आस भी अब निर्दलियों पर टिकी हुई है। चूंकि ऐसा इन आठों निकायों में पिछले चुनाव में भी हुआ था। जब पार्टी के प्रत्याशी जीतकर नहीं आए तो दोनों दलों के बीच बाड़ाबंदी और निर्दलियों को अपनी ओर खींचने की मशक्कत हुई थी।