पिछले एक महीने से चल रही बयानों की तकरार सिमको प्रबंधन जहां अभी तक जनता के बीच आकर यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा है कि आखिर वह यह सबकुछ क्यों और किसलिए कर रहा है तो वहीं जनप्रतिनिधि व सिमको बचाओ संघर्ष समिति के नेताओं के बीच बात यहां तक आ पहुंची है कि राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने पिछले दिनों ब्लेकमेलर नाम लेकर बयान तक दे दिया। इसके बाद समिति ने सवाल खड़े कर दिए। सिमको वैगन फैक्ट्री 13 नवंबर 2000 से लेकर 2008 तक लॉकआउट रही। राज्य सरकार के प्रयासों के उपरांत सिमको की 13 यूनियनों के साथ त्रिपक्षीय समझौता उप श्रम आयुक्त भरतपुर कैंप-जयपुर की ओर से पांच मार्च 2008 को नौ शर्तों के साथ कराया गया। इसमें नौ बिंदुओं पर समझौता हुआ कि श्रमिकों का बकाया वेतन वर्तमान महंगाई को देखकर व ग्रेच्युटी नियमानुसार बोनस वर्ष 1999-2000 तक एवं 2000-2001 तक छुट्टियों का पैसा देकर हिसाब चुकता किया जाएगा, जो पैसा एक वर्ष के अंदर त्रिमासिक किश्तों में दिया जाना तय था। पिछले दिनों संघर्ष समिति ने आरोप लगाया था कि सिमको प्रबंधन की ओर से फैक्ट्री निर्माण वास्ते आवंटित भूमि को फ्री होल्ड कराकर आवासीय क्वार्टरों को तुड़वा कर जमीन को बेचने की साजिश की जा रही है। लीज डीड जो कि राज्य सरकार की ओर से 24 अगस्त 1966 को निष्पादित कराई गई, उसकी पालना नहीं कराई जा रही है।