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मानवकृत भौतिक विकास से पहुंच रहा जीवन की पहरेदार परत को नुकसान!

locationभरतपुरPublished: Sep 16, 2023 10:10:37 pm

Submitted by:

Gyan Prakash Sharma

- ओजोन परत कमजोर होने से बढ़ जाते हैं त्वचा का कैंसर, मोतियाविंद व एलर्जी जैसे रोग, विश्व ओजोन दिवस

मानवकृत भौतिक विकास से पहुंच रहा जीवन की पहरेदार परत को नुकसान!
मानवकृत भौतिक विकास से पहुंच रहा जीवन की पहरेदार परत को नुकसान!
भरतपुर. आक्सीजन प्राणवायु है, जबकि ओजोन गैस हमारी जीवन रक्षक गैस है। ओजोन आक्सीजन के 3 परमाणुओं से मिलकर बनी एक गैस है। प्रकृति ने सूर्य के घातक विकिरणों से हमारी रक्षा के लिए समुद्र सतह से 30-32 किलोमीटर की ऊंचाई पर हमारे वायुमंडल में ओजोन मंडल स्थापित किया है। लेकिन इस रक्षक परत को मानवकृत भौतिक विकास ने अत्यधिक क्षति पहुंचाई है। हमारे द्वारा दिन प्रतिदिन प्रयोग किए जाने वाले रेफ्रीजरेटर, एयर कंडीशनर, स्प्रे केस, फोम आदि में क्लोरोफ्लोरोकार्बन का प्रयोग होता है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन ओजोन गैस से अभिक्रिया करके ओजोन को ऑक्सीजन के रूप में विघटित कर देता है जिसके कारण ओजोन परत का क्षरण होता है।
इसी तरह नाइट्रिक आक्साइड गैस भी ओजोन का क्षरण करती है, पर्यावरण प्रदूषण के तमाम कारक भी ओजोन को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इन कारणों से हमारे जीवन की पहरेदार ओजोन परत कमजोर हो रही है परिणामस्वरुप त्वचा का कैंसर, मोतियाविंद, एलर्जी संबंधी रोग, त्वचा में झुर्रिया आदि बीमारी हो जाती हैं। इससे हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है जिससे लोग आसानी से विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन और बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
ओजोन परत सूर्य की उच्च आवृति की पराबैंगनी किरणों के 93 से 99 प्रतिशत मात्रा को अवशोषित कर लेती हैै। यह पराबैंगनी प्रकाश पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक है, इसलिए ओजोन परत के अभाव में पृथ्वी पर सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी के जैविक जीवन को अत्यधिक क्षति पहुंचती है।
ऐसे कर सकते हैं ओजोन परत की सुरक्षा
कृषि महाविद्यालय कुम्हेर के डीन डॉ. उदय भान सिंह ने बताया ओजोन परत हमारे घर की छत के समान है। जिस तरह घर की छत हमें सर्दी, गर्मी व बारिश से बचाती है उसी तरह ओजोन परत पृथ्वी ग्रह को घातक सोलर रेडिएशन से बचाती है। ओजोन परत की सुरक्षा के लिए हमें फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन, मिथाइल ब्रोमाइड, मिथाइल क्लोरोफार्म, कार्बन टेट्राक्लोराइड, हेलोन व क्लोरोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन व उपयोग को कम करना चाहिए तथा ए.सी. व रेफ्रीजेरेटर में इनका उपयोग कम करें।
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