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पंजाब के पंचायत समिति चुनाव में विजयी निर्दलीय उम्मीदवारों पर मुहर लगाने की आम आदमी पार्टी की तैयारी

locationभटिंडाPublished: Sep 24, 2018 08:06:51 pm

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Prateek

आम आदमी पार्टी की अंदरूनी लड़ाई में केजरीवाल समर्थित गुट ने सुखपाल खैहरा के नेतृत्व वाले बागी गुट से मामूली बढत ली है…

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(चंडीगढ): पंजाब में एक दिन पहले ही आए जिला परिषद ओर पंचायत समिति चुनावों के नतीजों में जिला परिषदों में अपना खाना खाली रहने के बाद आम आदमी पार्टी ने पंचायत समिति चुनावों में जीते निर्दलीय प्रत्याशियों पर मुहर लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। आम आदमी पार्टी की अंदरूनी लड़ाई में केजरीवाल समर्थित गुट ने सुखपाल खैहरा के नेतृत्व वाले बागी गुट से मामूली बढत ली है।


आम आदमी पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि पंचायत समिति चुनाव में पार्टी के कई नेता निर्दलीय जीते हैं। इनकी सूची जल्दी ही जारी की जाएगी। आम आदमी पार्टी पंचायत समिति की कुल 2899 सीटों में से मात्र 20 सीटें जीत पाई है। इनमें सुखपाल खैहरा गुट के विधायकों के क्षेत्र में छह सीटें जीती गई हैं। केजरीवाल समर्थक गुट के विधायकों के क्षेत्र में पार्टी आठ सीटें जीती है। इसके अलावा कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में छह सीटें जीती है। कांग्रेस विधायकों वाले क्षेत्रों में से भुचोमंडी में चार और संगरूर व तरणतारण में एक-एक सीट जीती है।

 

आम आदमी पार्टी नेताओं का कहना है कि तरणतारण सीट की जीत से पार्टी को माझा क्षेत्र में किसी चुनाव में पहली जीत मिली है। पार्टी ने मालवा में 19 सीटें जीती हैं लेकिन दोआबा में कोई सीट नहीं जीती। बागी विधायक नजर सिंह मानसाहिया और केजरीवाल समर्थक विधायक मनजीत सिंह बिलासपुर का कहना है कि यदि पार्टी एकजुट होती, तो अधिक सीट जीत सकती थी।

 

उनहोंने कहा कि लोगों का रूझान आम आदमी पार्टी की ओर है लेकिन अंदरूनी लडाई महंगी पडी। सुल्तान पुर लोधी के पार्टी नेता सज्जन सिंह चीमा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किया। क्षेत्र में पार्टी के 17 उम्मीदवारों में से 16 के नामांकन मनमाने ढंग से रद्य कर दिए गए। हार के बाद खैहरा और केजरीवाल गुट में एक दूसरे पर दोष मढने का सिलसिला शुरू हो गया।


खैहरा ने कहा कि नतीजे बताते हैं कि पंजाब पर बाहर से नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। खैहरा ने ट्वीट में कहा कि आम आदमी पार्टी की पूरी हार से साफ है कि पंजाबी दिल्ली के निर्देशों पर नहीं चलेंगे। यह दिल्ली के सूबेदारों के लिए संदेश है कि हाईकमान संस्कृति छोडकर पंजाब के लोगों की भावनाओं को सुनें। उधर केजरीवाल समर्थक नेता प्रतिपक्ष हरपाल चीमा ने आरोप लगाया कि सुखपाल खैहरा गुट ने कुछ स्थानों पर पार्टी के विरूद्ध काम किया।

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