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धान बीज घोटाला में SIT की बड़ी कार्रवाई, डेरा बाबा नानक से पकड़ा सरगना

locationभटिंडाPublished: Jun 04, 2020 11:42:06 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

विशेष जांच टीम पंजाब ने बीज घोटला में पहले गिरफ्तार किए दो आरोपियों को लिया पुलिस रिमांड पर, पूछताछ में हो रहे खुलासे

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बटाला/चंडीगढ़। धान बीज घोटाले में शामिल व्यक्तियों पर बड़े स्तर पर कार्यवाही करते हुए पंजाब पुलिस ने बुधवार को एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। इस मामले में अब तक तीन व्यक्ति पुलिस की गिरफ्त में हैं। डेरा बाबा नानक बटाला के करनाल एग्री सीड्स के मालिक लखविन्दर सिंह उर्फ लक्की ढिल्लो को बीते दिनों डी.जी.पी दिनकर गुप्ता द्वारा गठित राज्य स्तरीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने बीज घोटाले की तह तक जाने के लिए गिरफ्तार किया है। वह धान की नयी किस्मों के गैर प्रमाणित बीज जो पी.ए.यू. लुधियाना द्वारा परीक्षण के लिए उगाए जा रहे हैं, बेच रहा था।
ऐसे हुआ खुलासा

गुप्ता ने खुलासा किया कि लक्की ढिल्लो ने कुछ किसानों से अनाधिकृत तौर पर पीआर-128 और पीआर-129 बीज किस्में खरीदी थीं जिनको पीएयू द्वारा आजमाइश के आधार पर बीज दिए गए थे। जांच में पता चला है कि ढिल्लो ने यह बीज लुधियाना की बराड़ सीड्ज कंपनी को सप्लाई किये थे, जिसका मालिक हरविन्दर सिंह उर्फ काका बराड़ इस घोटाले में गिरफ्तार किया गया पहला व्यक्ति था। इसी दौरान बराड़ और दूसरा दोषी बलजिन्दर सिंह उर्फ बालियां, जिसको बीते कल गिरफ्तार किया गया था, को और दो दिनों के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। डीजीपी ने कहा कि एसआईटी ने अदालत से रिमांड की माँग की ताकि घोटाले में शामिल अन्य दोषियों की पहचान की जा सके। दो दिन की रिमांड मिल गई है।
क्या है मामला

जिक्रयोग्य है कि बलजिन्दर सिंह पीएयू द्वारा बनाई गई फार्मर्ज एसोसिएशन का मैंबर भी है जो किसानों को नये बीजों और तकनीकों बारे जानकारी देती है। पीएयू ने उसको आजमाइश के आधार पर नतीजों का मूल्यांकन करने के लिए पिछले साल धान के बीज का नया विकसित पीआर 128 और पीआर 129 बिजाई के लिए दिया था। परन्तु उसने बीजी गई फसलों का अतिरिक्त उत्पादन बीज तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया और उस बीज को बिना किसी अधिकार के आगे बेच दिया। धान का यह परख अधीन बीज पीएयू द्वारा विकसित किया गया है और सीमित मात्रा में सीधे तौर पर किसानों को बेचा गया था। परन्तु अभी तक किसी भी डीलर को पीएयू के स्पष्ट अधिकार के बिना व्यापारिक स्तर पर इन बीजों को बेचने का अधिकार नहीं दिया था।
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