प्रबंधन को नुकसान- देय राशि की वसूली की गति धीमी हो गई है। उपभोक्ता भुगतान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। बकाया राशि में वृद्धि हो रही है। नकदी संकट बढऩे लगा है।
आमजन की मुसीबत– बकाया का बोझ मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा जैसी है। प्रबंधन द्वारा कभी भी कार्रवाई का भय सताता रहता है। समाज में भी असहज महसूस करते हैं।
नगद भुगतान शुरू व्यवस्था शुरू हो
बीएसपी ने नगद भुगतान लेना बंद कर दिया है। इसकी वजह से भी लोग समय पर किराया व शुल्क जमा नहीं कर पाते। बहुत से छोटे फुटकर दुकानदार हैं जिनके पास ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा नहीं है। शासन के नियम व आयकर अधिनियम के अनुसार बंैकिग कानून में 20 हजार रुपए तक नगद भुगतान लिया-दिया जा सकता है। आयकर अधिनियम, बैंकिग व शासन के द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर नगद भुगतान नहीं लेना गैर कानूनी व दंडनीय अपराध है। यह के मूलभूत संवैधानिक अधिकार का भी हनन है।
बकाया के बोझ से ऐसे लद गए हैं लोग
मद – मूल बकाया – ब्याज
दुकान -23.95 – 13.12
भूमि – 14.65 – 5.90
लीज – 2.73 – 0.96
मकान – 21.17 – 3.68
लाइसेंस -17.40 – 8.15
कुल- 79.90 -31.81- ( 111.71 )
(राशि करोड़ में)
प्रभावित आवंटिती
लाइसेंस पर आवास- 5450
तृतीय पक्ष अलॉटमेंट- 1400
पूर्व कर्मी रिटेंशन स्कीम- 1050
लीज अलॉटी- 4475
व्यवसायी- 3300
कुल- 15675
सरचार्ज और ब्याज माफ करें प्रबंधन
कोविड महामारी में बहुत से लोगों की आजीविका चली गई। व्यापार ठप हो गया। बेरोजगारी दर बढ़ गई। कई घरों में घर चलाने मुख्य आय अर्जित करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इस कारण से लोग पेनाल्टी व सरचार्ज का भुगतान नहीं कर पाए। यह कोई अपराध नहीं है। संयंत्र प्रबंधन सरचार्ज और ब्याज माफ करने के संबंध में ठोस निर्णय लें। कई राज्यों में स्थानीय प्रबंधन, स्थानीय निकाय, राज्य सरकार, निगम मंडल, बैंक, सहकारी समिति इत्यादि ने लोगों के हित में समय-समय पर कोरोना काल में ब्याज व पेनाल्टी माफ किया है।
बशिष्ठ नारायण मिश्रा, पार्षद टाउनशिप