scriptभिलाई टाउनशिप के रहवासियों पर 1 अरब 11 करोड़ कर्ज का बोझ. | 1 billion 11 crore debt burden on the residents of the Bhilai township | Patrika News

भिलाई टाउनशिप के रहवासियों पर 1 अरब 11 करोड़ कर्ज का बोझ.

locationभिलाईPublished: Apr 09, 2022 03:32:24 pm

Submitted by:

Nirmal Sahu

79.90 करोड़ किराया, पानी व सफाई शुल्क नहीं चुकाया अब देना होगा 31.81 करोड़ ब्याज
सबसे बड़ी बात: सिर्फ बीएसपी प्रबंधन वसूलता है बकाया पर ब्याज और मासिक अधिभार, सेल के किसी भी संयंत्र में नहीं है ऐसी व्यवस्था।

भिलाई टाउनशिप के रहवासियों पर 1 अरब 11 करोड़ कर्ज का बोझ.

भिलाई टाउनशिप के रहवासियों पर 1 अरब 11 करोड़ कर्ज का बोझ.

निर्मल साहू

Bhilai भिलाई. विश्वव्यापी कोरोना ने शहरवासियों को सालभर में ही 1 अरब 11 करोड़ 71 लाख रुपए का कर्जदार बना दिया। ये सभी भिलाई इस्पात संयंत्र आधिपत्य टाउनशिप में रहने वाले छोटे-बड़े व्यवसायी, सेवानिवृत्त कर्मी एवं अन्य सामान्य जन हैं, जिन्हें प्रबंधन ने लीज व लाइसेंस पर दुकान, मकान, खुली भूमि आदि आवंटित किए हैं। तीसरे पक्ष के रूप में चिन्हित ये उपभोक्ता मूल किराया व अन्य शुल्क जमा नहीं कर पाए हैं। अब भारी-भरकम ब्याज इसके सिर और लद गया है। इनमें 79.90 करोड़ रुपए मूल बकाया देय है, जिसका उन्हें 31.81 करोड़ रुपए अब ब्याज एवं सरचार्ज भी चुकाना है।
बीएसपी क्षेत्र में लीज व लाइसेंस पर दी गई दुकान, मकान, खुली भूमि इत्यादि व्यवसायियों एवं अन्य आवंटितियों की संख्या लगभग 15675 है। उन्हें निर्धारित अवधि में मूल किराया या लीज रेंट नहीं चुकाने पर सरचार्ज व पेनाल्टी भुगतान करना पड़ता है। गौर करने की बात यह कि स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) में केवल बीएसपी प्रबंधन ही टाउनशिप के तीसरे पक्ष के उपभोक्ताओं से हर माह बकाया देय राशि पर 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज और दुकानों में उल्लंघन के कारण मासिक अधिभार (पैनल रेंट) वसूल करता है। बाकी सेल के किसी भी सहयोगी संयंत्र आरएसपी, डीएसपी और बीएसएल में बकाया देय राशि पर ब्याज नहीं लिया जाता है।
साल दर साल बढ़ता जा रहा वसूली का बोझ
बीएसपी की समस्त वसूली छत्तीसगढ़ सरकार की भूमि दरों से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार हर साल सरकारी भूमि दरों में संशोधन के साथ, अधिभार की मात्रा भी संशोधित हो जाती है। कई उपभोक्ता बकाया देय राशि पर अर्जित ब्याज की उच्च दर और छग सरकार के साथ इसके जुड़ाव के कारण सरचार्ज के निरंतर ऊपर की ओर संशोधन के कारण भुगतान से बचते हैं।
एक बार फिर एमनेस्टी स्कीम की दरकार
राहत मिलते ही लोगों ने करोड़ों रुपए मूल बकाया का भुगतान स्वेच्छा से कर दिया। 31 मई 2020 को लागू एमनेस्टी स्कीम में बकाया राशि 60.23 करोड़ रुपए पर 18 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से उपार्जित ब्याज 21.04 करोड़ में 50 फीसदी यानि 10.52 करोड़ की छूट दी गई। दुकानों में उल्लंघन पर दंडात्मक अधिभार 1.97 करोड़ रुपए था जिस पर 20 फीसदी यानि 39.40 लाख की छूट दी गई। इस तरह लोगों पर देनदारी का बोझ कम हो गया और बकाया में से 15 करोड़ की वसूली भी प्रबंधन ने आसानी से कर ली । ऐसा ही वर्ष 2009-10 में भी किया गया था जबकि उस समय कोरोना जैसी कोई विभीषिका भी नहीं थी।
1. एमनेस्टी स्कीम क्या है- जब-जब टाउनशिप के लोगों पर देनदारी का बोझ बढ़ा है, संयंत्र प्रबंधन ने एमनेस्टी स्कीम लागू कर लोगों को ब्याज और दंड अधिभार में रियायत दी है। इस योजना के अंतर्गत वित्तीय संकट, प्राकृतिक आपदा या अन्य अपरिहार्य कारणों की स्थिति में वसूलनीय मूल बकाया में समस्त ब्याज माफ कर दिया जाता है।
2. क्या करे प्रबंधन- उपभोक्ताओं को बकाया भुगतान के लिए प्रेरित करने एक बार फिर उपार्जित ब्याज और दुकान उल्लंघनों में उपार्जित दंड अधिभार पर संपूर्ण छूट दे, क्योंंकि सेल के अन्य संयंत्रों में एक पाई वसूल ही नहीं किया जाता।
3. ये हों योजना के लाभाथीर्: इस योजना के लाभार्थी दुकानदार, लीज हाउस अलॉटी, तीसरे पक्ष केआवंटी, लाइसेंस पर मकान व दुकान, रिटेंशनधारी और वे संस्थान हों जहां शैक्षिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए लंबी अवधि के पट्टे पर भूमि दी गई है।

प्रबंधन को नुकसान- देय राशि की वसूली की गति धीमी हो गई है। उपभोक्ता भुगतान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। बकाया राशि में वृद्धि हो रही है। नकदी संकट बढऩे लगा है।
आमजन की मुसीबत– बकाया का बोझ मानसिक व शारीरिक प्रताडऩा जैसी है। प्रबंधन द्वारा कभी भी कार्रवाई का भय सताता रहता है। समाज में भी असहज महसूस करते हैं।
नगद भुगतान शुरू व्यवस्था शुरू हो
बीएसपी ने नगद भुगतान लेना बंद कर दिया है। इसकी वजह से भी लोग समय पर किराया व शुल्क जमा नहीं कर पाते। बहुत से छोटे फुटकर दुकानदार हैं जिनके पास ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा नहीं है। शासन के नियम व आयकर अधिनियम के अनुसार बंैकिग कानून में 20 हजार रुपए तक नगद भुगतान लिया-दिया जा सकता है। आयकर अधिनियम, बैंकिग व शासन के द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर नगद भुगतान नहीं लेना गैर कानूनी व दंडनीय अपराध है। यह के मूलभूत संवैधानिक अधिकार का भी हनन है।
बकाया के बोझ से ऐसे लद गए हैं लोग
मद – मूल बकाया – ब्याज
दुकान -23.95 – 13.12
भूमि – 14.65 – 5.90
लीज – 2.73 – 0.96
मकान – 21.17 – 3.68
लाइसेंस -17.40 – 8.15
कुल- 79.90 -31.81- ( 111.71 )
(राशि करोड़ में)
प्रभावित आवंटिती
लाइसेंस पर आवास- 5450
तृतीय पक्ष अलॉटमेंट- 1400
पूर्व कर्मी रिटेंशन स्कीम- 1050
लीज अलॉटी- 4475
व्यवसायी- 3300
कुल- 15675
सरचार्ज और ब्याज माफ करें प्रबंधन
कोविड महामारी में बहुत से लोगों की आजीविका चली गई। व्यापार ठप हो गया। बेरोजगारी दर बढ़ गई। कई घरों में घर चलाने मुख्य आय अर्जित करने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इस कारण से लोग पेनाल्टी व सरचार्ज का भुगतान नहीं कर पाए। यह कोई अपराध नहीं है। संयंत्र प्रबंधन सरचार्ज और ब्याज माफ करने के संबंध में ठोस निर्णय लें। कई राज्यों में स्थानीय प्रबंधन, स्थानीय निकाय, राज्य सरकार, निगम मंडल, बैंक, सहकारी समिति इत्यादि ने लोगों के हित में समय-समय पर कोरोना काल में ब्याज व पेनाल्टी माफ किया है।
बशिष्ठ नारायण मिश्रा, पार्षद टाउनशिप

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