कर्मचारी क्यों भड़के
बीएसपी के कर्मचारी गुरुवार को नगर सेवाएं विभाग पहुंचे। वे तर्क दे रहे थे कि बीएसपी के जिन आवासों में वे रह रहे हैं, वह बेहद खराब हो चुका हैं। प्रबंधन ने फरवरी 2018 के बाद से उनको दूसरा मकान आवंटित किया है। उस मकान को वे वेलकम स्कीम में दिए हैं। अब तक मकान का तैयार होकर नहीं मिला। जिससे प्रबंधन अब दो-दो आवासों का किराया काट रहा है। जिस आवास में रहते नहीं है उसका किराया देना पड़ रहा है।
वेलकम स्कीम के तहत 430 से अधिक प्रकरण हैं पेंडिंग
बीएसपी के 430 से अधिक कर्मियों ने 2018 के बाद से वेलकम स्कीम के तहत आवासों को वेलकम स्कीम में दिया हुआ है। करोड़ों रुपए नगर सेवाएं विभाग वेलकम स्कीम के तहत आवासों तैयार करने हर साल खर्च करता है। आखिर इसके बाद कर्मचारी परेशान क्यों है। यह सभी नए कर्मचारी हैं जिनको बीएसपी के मकान पहले ही पसंद नहीं आए हैं, उस पर से एचआरए देने सेल तैयार नहीं। दूसरे मकान की आस में वे जब भी नगर सेवाएं विभाग आते उनको अधिकारी फटकार कर रवाना कर देते। इस बात से कर्मचारी बहुत नाराज चल रहे हैं। इस विभाग की जिम्मेदारी किसी महाप्रबंधक को नहीं दी गई है। डीजीएम के हाथ से इतना बड़ा विभाग संचालन करवाने से हालात यहां तक पहुंचे हैं।
क्यों बुला रहे थे अधिकारी को
बीएसपी के जो कर्मचारी यहां पहुंचे थे, उनका नेतृत्व कोई नहीं कर रहा था। इसमें किसी भी यूनियन के नेता शामिल नहीं थे। इस वजह से कर्मचारी अधिकारी से समूह में ही बात करना चाहते थे। वे बार-बार कह रहे थे कि कोविड-19 में सीजीएम के कक्ष में सभी कर्मचारियों का जाकर बात करना सही नहीं है। बेहतर होगा कि वे चर्चा करने दस मिनट के लिए आ जाएं।
एक घंटा संभाल के रखा सुरक्षा कर्मियों ने
कर्मियों को 10 मिनट में अधिकारी आ रहे हैं कहकर नगर सेवाएं विभाग के बाहर गेट पर करीब एक घंटे तक रोककर रखा गया। जब इसके बाद छोटे अधिकारी आए और बहस होने पर पुलिस को फोन किया, तब मामला गरमा गया। इसके बाद मामला बिगड़ा, सुरक्षा कर्मी रोकने के लिए आगे आए तो कर्मचारी भड़क गए, वे कहने लगे बाहर अधिकारी आ नहीं रहे और अंदर जाने नहीं दे रहे। इस बात पर एक दूसरे को धक्का दिए। जिससे नगर सेवाएं विभाग के बाहर गेट पर लगा कांच टूटा और सुरक्षा कर्मचारी के हाथ में उससे चोट लगी।
भीतर दिए धरना
मामला यहां शांत नहीं हुआ, इसके बाद कर्मचारी सीजीएम से मिलने उनके कक्ष तक गए तो वहां भी बाहर रोक दिया गया। जहां यह कर्मचारी जमीन पर बैठ गए। इसके बाद सीजीएम ने बुलाया और आश्वासन मिला तो सभी लौट गए। यह आश्वासन गेट के बाहर जाकर भी दिया जा सकता था। यह पहली बार है जब नियमित कर्मचारियों को मकानों के नाम पर इस तरह से संघर्ष करना पड़ा है।
मेंटनेंस के नाम पर है 16 हजार से अधिक शिकायत
नगर सेवाएं विभाग ने ऑन लाइन शिकायत शुरू किया तब से अब तक 50 हजार से अधिक शिकायत एकत्र हो चुकी है। जिसमें से आज भी 16 हजार से अधिक पेंडिंगे हैं। टाउनशिप में साफ-सफाई रखरखाव के नाम पर प्रबंधन कुल 27 करोड़ से अधिक राशि देता है। इसके बाद भी आवासों की दिक्कत वैसी बनी हुई है।
मेंटनेंस के नाम पर मिलने वाली राशि
सिविल मेंटनेंस के नाम पर 30 लाख, 20 लाख, 20 लाख, 20 लाख, 20 लाख, 20 लाख, 20 लाख दिसंबर तक खर्च की जानी है। मकानों में डामरीकरण के नाम पर 2.8 करोड़, रंग रोगन व इंटरनल डेकोरेशन के नाम पर 3.1 करोड़, वेलकम स्कीम के नाम पर 2.57 करोड़, छज्जा रिपेयर के नाम पर 38 लाख खर्च किया जा रहा है।