रामप्यारी ने अपनी अधिवक्ता बेटी की मदद से रायपुर एसडीएम न्यायालय में फरियाद की थी। उसके पति ने शंकर नगर में मकान बनाया था। पति ने वसीयत में मकान का मालिकाना हक पत्नी रामप्यारी के नाम लिखा था। लेकिन उसके बेटों अश्वनी व ईश्वरी यादव ने मकान पर कब्जा कर मां को बेदखल कर दिया। इस परिवाद पर एसडीएम रायपुर ने पीडि़त महिला के दोनों बेटों को सात दिन में मकान खाली करने का आदेश दिया है। इस प्रकरणकी सुनवाई 19 सितंबर को थी। दो बार समंस जारी हुए लेकिन अनावेदक सुनवाईमें उपस्थित नहीं हो रहे थे। एसडीएम ने एसपी के माध्यम से समंस तामील कराया। इसके बाद ही अश्वनी व ईश्वरी यादव सुनवाई में उपस्थित हुए।
एसडीएम दीपक अग्रवाल ने अश्वनी व ईश्वरी यादव को निर्देश दिया है कि वे स्वयं के परिवार का रहने की व्यवस्था खुद करें। इसके अलावा दोनो भाई अक्टूबर 2018 से प्रतिमाह 2-2 हजार रुपए अपनी मां को बतौर खर्च दें। अधिवक्ता कौशल किशोर सिंह ने बताया कि संतराम यादव ने पंजीकृत वसीयत में उनकी मृत्यु के बाद शंकर नगर का मकान रामप्यारी का होगा। दोनो भाइयों ने इस वसीयत को दुर्ग न्यायालय में चुनौती दी है। इसमें फैसला आना शेष है।
माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 4 के तहत एसडीएम रायपुर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। परिवाद पर फैसला सुनाते न्यायालय ने मकान खाली करने के साथ प्रत्येक माह भरण पोषण देने का आदेश दिया है।
सरला यादव, अधिवक्ता व पीडि़ता की बेटी