कवर्धा में 3 और 5 अक्टूबर को हिंसा की शुरुआत हुई थी। बिगड़ते हालात को देखते हुए बाद में प्रशासन को कफ्र्यू लगाना पड़ा था। पुलिस ने अब तक 108 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक गुट से 29 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। वहीं दूसरे गुट के 79 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने दुर्ग जेल में बंद सभी 18 आरोपियों की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी।
कवर्धा हिंसा मामले में जमानत पर रिहा 18 आरोपियों में गजेंद्र झारिया, शूरवीर देवार, अमीर देवार, बसंत ध्रुव, नवदीप चंद्रवंशी, दीनू झारिया, आकाश तिवारी, तोरण दिवाकर, विष्णु कौशिक, सागर नामदेव, अंशु ठाकुर, आयुष शर्मा, ऋ षभ चौरसिया, मोटी उर्फ भास्कर, उज्ज्वल पांडे, तुकाराम, गोलू और रिंकू देवार शामिल हैं।
कवर्धा में हिंसा के बाद पुलिस ने लगभग 1000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। वहीं 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था। जिन 18 लोगों को न्यायालय से जमानत मिली है, उनके मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पुलिस ने इन लोगों की गिरफ्तारी 3 अक्टूबर को ही कर ली थी। इसके बाद उनके खिलाफ 4 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज किया था। इसका लाभ आरोपियों के मिला।
हाल में संपन्न हुई आईजी, एसपी की बैठक में मुख्यमंत्री ने कि छोटी-छोटी घटनाओं को साम्प्रदायिक और अराजक तत्व बड़ा रूप देने की चेष्टा कर रहे हैं। सभी पुलिस अधीक्षक उन्हें पहचानें, अपना खुफिया सूचना तंत्र विकसित करें क्योंकि ऐसी घटनाओं का सीधा असर प्रदेश की शांति व्यवस्था और सरकार की छवि पर होता है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के एसपी से कहा है कि हर जिले में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग की स्पेशल टीम बनाएं जो सोशल मीडिया में अफ़वाह फैलाने वालों का चिह्नांकन कर कार्यवाही करे। कवर्धा में हिंसक घटना से कवर्धा एसपी के साथ सभी जिलों के एसपी सीख लें,ताकि दोबार ऐसी घटनाएं न हो।