एडमिशन तो रहेगा, पर फीस देनी होगी आरटीइ मामले पर स्कूल प्रबंधन का कहना है कि आरटीइ वाले बच्चे उनके स्कूल में आठ साल से पढ़ रहे हैं। ऐसे में वे उन्हें टीसी नहीं दे रहे, बल्कि उन्हें अगली क्लास में बैठने दे रहे हैं। पर उन्होंने उनके पैरेंट्स को बुलाकर स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें अब सामान्य बच्चों की तरह पूरी फीस देनी होगी। प्रबंधन का भी कहना है कि कोई भी पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल से निकालना नहीं चाहता। पालकों ने भी फीस देने हामी भरी है। इधर बच्चों को नवमीं में स्कूल के पुराने छात्र ही मानकर फीस ली जा रही है।
प्रदेश में सबसे ज्यादा बच्चे दुर्ग में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होते ही 2010 में सबसे ज्यादा एडमिशन अविभाजित दुर्ग जिले में ही हुआ था। दुर्ग सहित बालोद और बेमेतरा के निजी स्कूलों में 18 सौ बच्चों को प्रवेश दिया। आरटीई के तहत आठवीं में पढऩे वाले स्कूली बच्चों की संख्या अगले सत्र में तीन गुनी हो जाएगी। क्योंकि दूसरे बैच में प्रदेशभर से करीब 15 हजार बच्चों का प्रवेश हुआ था और तीसरे बैच में यह संख्या बढ़कर 16 हजार तक पहुंच गई थी। वर्तमान में आरटीई के तहत फ्री सीटों में पढऩे वाले बच्चों की संख्या 75 हजार से ज्यादा है।
फीस को लेकर परेशान छत्तीसगढ़ छात्र पालक संघ के प्रदेशाध्यक्ष नजरूल खान बताते हैं कि उनके पास रोजाना ऐसे पालक आ रहे हैं जिनके बच्चों ने आरटीइ सीट पर आठवीं पास कर ली है। अब उन्हें जो फीस भरने कहा जा रहा है, उसे भरने में वे सक्षम नहीं है। पालकों का कहना है कि अब तो स्कूल के मात्र चार साल बचे हैं, किसी तरह वे अपने बच्चों को पढ़ा ही लेंगे।
अब भी उम्मीद सरकार बदलने के बाद पालकों को अब भी वह घोषणा के पूरे होने का इंतजार है। जिसमें कांग्रेस ने चुनाव जीतने के पहले आरटीई के बच्चों की 9 वीं से 12 वीं तक की फीस माफ करने की बात कही थी। पालकों का कहना है कि शिक्षा सबसे बड़ी जरूरत है और शासन को इस पर गंभीर होना भी चाहिए।
स्कूल प्रबंधन ने कहा- नियमानुसार चल रहे प्रबंधन का का कहना है कि वे नियम से ही चल रहे हैं। आठवीं तक इन बच्चों की फीस शासन की ओर से दी जाती थी, लेकिन 9 वीं के बाद अनिवार्य शिक्षा का कंसेप्ट लागू नहीं होगा। ऐसे में बच्चों के पैरेंट्स से ही फीस ली जाएगी। किसी का एडमिशन कैंसल नहीं किया है। बस उन्हें नियमानुसार फीस देने को कहा है।
केपीएस सुंदर नगर के प्रिंसिपल एसके पांडेय ने बताया कि जो बच्चा पहली से आठवीं तक हमारे स्कूल में पढ़ा है उसे हम सिर्फ फीस के मुद्दे पर नहीं निकाल सकते। हमने आरटीई वाले बच्चों के पैरेंट्स को बुलाकर उनसे फीस देने कहा है और केपीएस ने फीस में कुछ रियायत भी दी है, ताकि उन्हें ज्यादा बोझ ना पड़े।
शिक्षा सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर शासन ने अपने संकल्प पत्र में जो घोषणा की थी, उस पर नीतिगत निर्णय लिया जा चुका है। आचार संहिता खत्म होते ही इसकी घोषणा की जाएगी।