scriptPatrika Positive News: 64 उम्र में बिना छुट्टी लिए 24 घंटे कोरोना मरीजों के इलाज में जुटी डॉ. सुगम, महामारी में बदला VRS का फैसला | 64 year old doctor doing treatment of corona patients in bhilai | Patrika News

Patrika Positive News: 64 उम्र में बिना छुट्टी लिए 24 घंटे कोरोना मरीजों के इलाज में जुटी डॉ. सुगम, महामारी में बदला VRS का फैसला

locationभिलाईPublished: May 14, 2021 07:08:10 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Patrika Positive News: जिंदगी और मौत के इस सफर में अगर डॉक्टर किसी की जान बचा लेता है तो वह उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
 
 

64 उम्र में बिना छुट्टी लिए 24 घंटे कोरोना मरीजों के इलाज में जुटी डॉ. सुगम, महामारी में बदला VRS का फैसला

64 उम्र में बिना छुट्टी लिए 24 घंटे कोरोना मरीजों के इलाज में जुटी डॉ. सुगम, महामारी में बदला VRS का फैसला

दाक्षी साहू@भिलाई. Patrika Positive News: 64 की उम्र में आम लोगों का शरीर जवाब देने लगता है पर दुर्ग जिले के सबसे बड़े शासकीय कोविड अस्पताल (Covid hospital Durg District) की प्रभारी डॉ. सुगम सावंत इस उम्र में भी 24 घंटे मरीजों का इलाज कर रही है। एक समय में वीआएस के लिए आवेदन करने वाली बुजुर्ग डॉक्टर से महामारी में मरीजों की पीड़ा देखी नहीं गई। उन्होंने वीआरएस (VRS) का प्लान छोड़कर दोबारा अस्पताल लौटने का फैसला किया।
शंकरा कोविड केयर के प्रबंधन से लेकर मरीजों के भोजन और सैनिटाइजेशन तक हर बात का बारीकी से ख्याल रखकर उन्होंने हजारों कोरोना संक्रमितों को महामारी के दौर में नया जीवन दिया है। कत्र्तव्य की खातिर वे लंबे समय से अमरीका में रहने वाली अपनी दोनों बेटियों के साथ वक्त नहीं बीता पाई हैं। इस बात का उन्हें जरा भी मलाल नहीं। वे कहती हंै अब ये अस्पताल और यहां आने वाले मरीज ही उनका परिवार है। जब तक सांस चल रही है तब तक हर मरीज को ठीक करके खुशी-खुशी घर भेजना पहली प्राथमिकता है। जिंदगी और मौत के इस सफर में अगर डॉक्टर किसी की जान बचा लेता है तो वह उसके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
64 उम्र में बिना छुट्टी लिए 24 घंटे कोरोना मरीजों के इलाज में जुटी डॉ. सुगम, महामारी में बदला VRS का फैसला
दुर्ग जिले में पहला वैक्सीन लगाकर बढ़ाया लोगों का हौसला
देशभर में जब कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को लेकर लोग आशंकित और भयभीत थे तब फ्रंट लाइन वॉरियर बनकर डॉ. सुगम सावंत ने दुर्ग जिले में पहला वैक्सीन लगवाया। उन्होंने बताया कि उस वक्त साथी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का हौसला बढ़ाने के लिए वो कदम जरुरी था। यदि इलाज करने वाले ही बीमार हो जाते तो महामारी में आम लोगों की देखभाल कौन करता। भ्रांतियों को तोडऩे के लिए खुद से कदम बढ़ाया। देखते ही देखते टीका लगाने की स्वास्थ्यकर्मियों में होड़ लग गई। कोरोना की दूसरी लहर में भी टीके की बदौलत स्वास्थ्यकर्मी बिना बीमार हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं।
मां की सीख, कभी किसी मरीज से नहीं करना दुव्र्यवहार
मेरी मां चाहती थी कि मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूं। इसलिए मैंने डॉक्टरी प्रोफेशन को आगे बढऩे के लिए चुना। जिस दिन मेडिकल कॉलेज में पहला कदम रखने जा रही थी उस दिन मां ने कहा मरीजों को अपना समझकर इलाज करना। कितनी भी मुश्किल परिस्थिति क्यों न आ जाए किसी मरीज से दुव्र्यवहार नहीं करना। उनकी दी गई ये सीख आज तक मुझे याद है। इसलिए 24 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी मैं खुद को पॉजिटिव रखकर मरीजों के बीच जाती हूं। कोशिश करती हूं कि उन्हें अस्पताल में अपनों की कमी न खले।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो