देशभर में जब कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) को लेकर लोग आशंकित और भयभीत थे तब फ्रंट लाइन वॉरियर बनकर डॉ. सुगम सावंत ने दुर्ग जिले में पहला वैक्सीन लगवाया। उन्होंने बताया कि उस वक्त साथी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का हौसला बढ़ाने के लिए वो कदम जरुरी था। यदि इलाज करने वाले ही बीमार हो जाते तो महामारी में आम लोगों की देखभाल कौन करता। भ्रांतियों को तोडऩे के लिए खुद से कदम बढ़ाया। देखते ही देखते टीका लगाने की स्वास्थ्यकर्मियों में होड़ लग गई। कोरोना की दूसरी लहर में भी टीके की बदौलत स्वास्थ्यकर्मी बिना बीमार हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं।
मेरी मां चाहती थी कि मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनूं। इसलिए मैंने डॉक्टरी प्रोफेशन को आगे बढऩे के लिए चुना। जिस दिन मेडिकल कॉलेज में पहला कदम रखने जा रही थी उस दिन मां ने कहा मरीजों को अपना समझकर इलाज करना। कितनी भी मुश्किल परिस्थिति क्यों न आ जाए किसी मरीज से दुव्र्यवहार नहीं करना। उनकी दी गई ये सीख आज तक मुझे याद है। इसलिए 24 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी मैं खुद को पॉजिटिव रखकर मरीजों के बीच जाती हूं। कोशिश करती हूं कि उन्हें अस्पताल में अपनों की कमी न खले।