शिकायतकर्ता ने विवि को बताया कि उसे हर विषय में फेल किया गया। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उत्तरपुस्तिका में लिखे गए उत्तर सही थे या नहीं। विवि ने पारदर्शिता बनाने के मकसद से भास्कर राव के साथ करीब हजार विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाएं भी बाहर जंचवाने भिजवाई हैं। सूत्रों का कहना है कि शिकायतकर्ता की लिखावट (हैंडराइटिंग) सही नहीं थी। जिसके चलते परिणाम ऐसे आए। उत्तर पुस्तिका बाहर भेजने के फैसले के बाद से ही दुर्ग संभाग के चार लॉ कॉलेज में तरह तरह की चर्चाएं गर्म हो गईं। एलएलबी की परीक्षा लिखने का माध्यम पहले अंग्रेजी चुना, लेकिन बाद में हिंदी माध्यम से इम्तेहान दिया। कॉलेज में लॉ के अन्य विद्यार्थियों ने बताया कि इससे पहले वे एक बार कॉलेज से टीसी लेकर जा चुके थे, लेकिन दोबारा वापस लौटकर एडमिशन लिया।
हे मचंद यादव विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को बड़ी राहत मिली है। अब उनको अपना कोर्स पूरा करने के लिए एक साल का समय और मिलेगा। पहले तक तीन साल के एलएलबी कोर्स को अधिकतम ५ साल में पूरा करने की बाध्यता थी, लेकिन इसमें बदलाव करते हुए विवि ने एन+२+१ का प्रावधान लागू कर दिया है। 12 जनवरी को हुई विद्या परिषद की बैठक में अध्ययन मंडल और लॉ संकाय अध्यक्ष की अनुशंसा पर सहमति दी गई। बदले हुए नियम से एलएलबी के चौथे व पांचवे सेमेस्टर के बाद एटीकेटी आने वाले विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सकेगा। यह नियम इसी सत्र से प्रभावी हो जाएगा। हेमचंद यादव विवि कुलसचिव डॉ. सीएल देवांगन ने बताया कि शिकायत मिली थी, जिसके बाद एलएलबी की मुख्य परीक्षा और एटीकेटी की उत्तरपुस्तिका जांच के लिए बाहर भेजने का निर्णय हुआ। कुलपति से उक्त विद्यार्थी ने शिकायत की है।