... सरकारी डिस्पेंसरी का कमाल, कुष्ठ के 98 फीसदी मरीजों को मिला बीमारी से निजात
व्यवस्था बेहतर करने की उठ रही मांग.

भिलाई. कैंप-2, भिलाई में घनी आबादी के मध्य एक छोटी सी सरकारी सिविल डिस्पेंसरी संचालित हो रही है। यहां एक डॉक्टर व चंद कर्मचारी काम करते हैं। वे हर दिन आने वाले मरीजों का चेकअप कर दवा देते हैं। वहीं इसके साथ-साथ कुष्ठ रोगियों के लिए दवा भी इस डिस्पेंसरी से ही दी जाती है। अस्पताल के कर्मचारी भिलाई, छावनी से लेकर जामुल व अहिवारा तक के मरीजों को कुष्ठ की दवा दे रहे हैं। समीप में एक कुष्ठ रोगियों की आशादीप कालोनी ही बस गई थी, जिसमें करीब 85 मरीज थे, यहां के कर्मियों ने उनको नियमित दवा घर पहुंचाकर दिया। इसका परिणाम यह हुआ है कि सभी मरीज ठीक हो गए हैं, सिर्फ दो मरीजों को दवा दिया जा रहा है। इस तरह के बेहतर काम करने वाले कर्मियों को अक्सर विभाग भूल जाता है।
टीका, सर्दी खांसी का हो जाता है इलाज
राष्ट्रीय राजमार्ग में मौजूद डिस्पेंसरी में बच्चों को सप्ताह में दो दिन टीका लगवाने और सर्दी, बुखार दिखाने के लिए टाटा लाइन, श्याम नगर, सूर्यनगर, महात्मा गांधी नगर, प्रगति नगर, अहमद नगर, एचएससीएल कालोनी, जवाहर मार्केट, जामुल, शंकर नगर छावनी से लोग बच्चों को लेकर आते हैं। यहां आने वाले लोग चाहते हैं कि यहां व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत है। जिस तरह से जिला के दूसरे अस्पतालों में मरम्मत व नए चेयर वगैरा दिए जा रहे हैं। यहां भी पानी और कुर्सियों की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग करे। बच्चों को लेकर पहुंची अर्चना झा और दिव्यांग राजन ने कहा कि आसपास में रहने वाले लोग बच्चों को लेकर लंबी लाइन लगाने दूसरे अस्पताल नहीं जाते। वे इस डिस्पेंसरी में ही आते हैं। यहां की व्यवस्था और अच्छी की जानी चाहिए। यह अस्पताल यहां रहने वालों के लिए बहुत जरूरी है। इसमें कुछ और सुविधा बढ़ाने की जरूरत है।
वर्तमान में इन क्षेत्रों के कुष्ठ रोगियों को दी जा रही दवा
सरकारी सिविल डिस्पेंसरी से वर्तमान में छावनी के पांच मरीजों, जामुल के पांच मरीजों, हाउसिंग बोर्ड के एक मरीज, रविदास नगर के दो मरीज, आशादीप नगर के दो मरीज, घासीदास नगर के पांच मरीजों को इस तरह से कुल 22 मरीजों को दवा पहुंचाकर दी जा रही है।
कोरोनाकाल से घटे मरीज
कोविड-19 महामारी से पहले यहां हर दिन करीब 40 मरीज आते थे। ओपीडी घटकर 20 के आसपास हो गई है। अब पुन: मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यहां की जिम्मेदारी डॉक्टर एसके अग्रवाल को दी गई है। यहां के रहवासियों बलराम सेन, गोपाल राव, मनोद यादव, जीएस चौधरी, कमला बाधे, शीला पूनम, असराही बानो, विनायक, कलावती, मिंिलंद का कहना है कि यह 40 साल पुराना अस्पताल है। इस अस्पताल में अब बीपी, शुगर व दूसरी जांच की व्यवस्था करने की जरूरत है। अस्पताल को और बेहतर करने के लिए जरूरत पडऩे पर यहां के लोग आंदोलन भी करने को तैयार हैं।
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