घटना की सूचना मिलते ही सीटू की सुरक्षा उप समिति व विभागीय समिति के सदस्यों ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया तथा जांच के दौरान यह पाया कि ओसीएल कंपनी जिसके अधीन यह कार्य किया जाता है, वह सुरक्षा के नियमों को ताक में रखकर कार्य पूरा कराया जाता है। इस काम के दौरान वहां पर दो कर्मी व एक सुपरवाइजर को मौजूद रहना था, लेकिन मौके पर सिर्फ एक व्यक्ति से काम करवाया जा रहा था। यह पूरी तरह से सुरक्षा कारकों की सरासर अनदेखी है, जिसके चलते यह दुर्घटना हुई।
सेफ्टी उप समिति ने समय-समय पर पूरे संयंत्र स्तर पर सुरक्षा से संबंधित मामलों को सुरक्षा विभाग व प्रबंधन की जानकारी में लाया जाता रहा है। इसके बाद भी सुरक्षा संबंधित मानकों का प्रबंधन ने कड़ाई से पालन नहीं कराया जाना दुर्घटनाओं को आमंत्रित करता है। जिससे संयंत्र के नियमित व ठेका श्रमिकों के परिवार व विभाग को जन धन व मानसिक क्षति पहुंचती है।
सीटू की सुरक्षा समिति व स्टील जोन समिति ने यह मांग किया कि ओम प्रकाश साहू के चिकित्सा में किसी प्रकार कि कोताही ना बरतते हुए उसकी सम्पूर्ण चिकित्सा सुनिश्चित की जाए व इस दौरान उसके परिवार को जो भी आर्थिक नुकसान पहुंचती है, उसकी भरपाई ओसीएल कंपनी से प्रबंधन तय कराए। प्रतिनिधि मंडल में कुंज बिहारी मिश्रा, महावीर प्रसाद, पीके खरालकर, हेमंत जगम शामिल थे।