भिलाई

गुरिल्ला वार के बाद अब आमने-सामने की लड़ाई के लिए नक्सली तैयार कर रहे लड़ाके

नक्सलियों को लेकर अब जानकारी आ रही है कि वो हर परिस्थितियों और हर हथियार का इस्तेमाल करने ट्रेनिंग कैम्प लगा रहे हैं।

भिलाईNov 21, 2017 / 11:10 pm

Satya Narayan Shukla

अतुल श्रीवास्तव/राजनांदगांव. जंगल के भीतर खौफ का साम्राज्य खड़ा करने की कोशिश में जुटे नक्सली गुरिल्ला युद्ध के लिए जाने जाते हैं लेकिन अब वो आमने-सामने की लड़ाई के लिए भी खुद को पुख्ता तौर पर तैयार कर रहे हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लेस नक्सली अपने लड़ाकों को मिलिट्री के अंदाज में ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। नक्सलियों को लेकर अब जानकारी आ रही है कि वो हर परिस्थितियों और हर हथियार का इस्तेमाल करने ट्रेनिंग कैम्प लगा रहे हैं।
जंगल के माहौल में खुद को ढालने का प्रशिक्षण
जंगल के भीतर से फोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबरें अक्सर आते रहती हैं। फोर्स ने कितने राऊंड फायर किए और नक्सलियों ने कितनी गोलियां चलाईं, यह भी पता चलता है। खूनी लड़ाई लड़ रहे माओवादियों को मात देने के लिए छत्तीसगढ़ में जंगलवार कॉलेज की स्थापना बस्तर के कांकेर में की गई है। यहां फोर्स को कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। फोर्स को गुरिल्ला-वार के लिए और जंगल के माहौल में खुद को ढालने का प्रशिक्षण दिया जाता है। दूसरी ओर अब नक्सली अपने लड़ाकों को कैसी ट्रेनिंग देते हैं और कैसे वो विपरीत परिस्थितियों से जूझने खुद को ढालते हैं, इसका खुलासा हुआ है।
कौन सा हथियार कितनी दूरी से मारक
नक्सलियों से मिले दस्तावेज के अनुसार लड़ाकों को यह समझाया जाता है कि कौन सा हथियार कितनी दूर से मार करने में समक्ष है। रिवाल्वर, रायफल, 303, इंसास से लेकर एलएमजी (लाइट मशीनगन), एमएमजी (मीडियम मशीनगन) और असाल्ट रायफल (एके 47) जैसे हथियारों को लेकर जानकारी दी जाती है कि किस हथियार की मारक क्षमता कितनी है और कितने दूर से टारगेट कर सामने वाले को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
ऐसी सतर्कता की दे रहे सीख
नक्सली अपने लड़ाकों को बताते हैं कि फायरिंग के दौरान घबराहट नहीं होनी चाहिए।
सही निशाना लगाना चाहिए। अपने पास मौजूद हथियार पर भरोसा करना चाहिए।
फायरिंग में मिली सफलता आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करती है।
मूविंग टारगेट के समय एक दूसरे को कव्हर कर अलग अलग पोजिशन से फायर करना चाहिए।
जल्दबाजी में फायरिंग करने के बजाए निशाना लगाकर फायर करना चाहिए।
अपनी सांस यानि धड़कन पर नियंत्रण रखना चाहिए।
जंगल में ये मददगार
जंगल में फोर्स से मुठभेड़ के दौरान रेतीला मैदान, रेत से भरे बोरे, ईंट आदि पोजिशन लेने के लिए सबसे अनुकूल होने की ताकीद माओवादी लड़ाकों को देते हंै। इसके अलावा छह अलग अलग प्रकार से पोजिशन लेकर फायर खोलने की सीख दी जाती है।
आरकेबी के हैं ये दस्तावेज
राजनांदगांव में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नक्सल सेल) वायपी सिंह ने बताया कि यह बरामद दस्तावेज राजनांदगांव कांकेर बार्डर (आरकेबी) डिविजनल कमेटी के हैं। उन्होंने कहा कि माओवादी इस तरह के कैम्प लगाते रहते हैं और उनके कई कैम्प को ध्वस्त करने में फोर्स को सफलता भी मिली है। एएसपी सिंह के अनुसार इस डिविजन में इसके सचिव विजय रेड्डी सहित करीब २२ से २४ माओवादी सक्रिय हैं।
मराठी में टूटे-फूटे शब्दों में लिखावट
राजनांदगांव जिले में माओवादियों के बरामद सामानों में पुलिस को एक रजिस्टर नुमा कॉपी मिली है, जिसमें माओवादियों ने अपनी ट्रेनिंग के एक-एक अंश को लिखा हुआ है। मराठी भाषा में टूटे-फूटे शब्दों में लिखे गए इस रजिस्टर को पढऩे से समझा जा सकता है कि प्रायोगिक ट्रेनिंग के दौरान दिए गए दिशा-निर्देशों को लड़ाकों ने लिखकर रखा है, ताकि वे इसे भूल न पाएं और इसे बार-बार दोहराकर सारे सबक याद रखें।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.