कच्चे मकान में रहते हैं कृषि मंत्री
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की पहचान ठेठ ग्रामीण नेता के रूप में रही है। समर्थकों के साथ छत्तीसगढ़ में उनका संवाद और साधारण वेशभूषा चर्चा का विषय रहता है। साजा विधानसभा के महुंआभाठा गांव में आज भी वे और उनका परिवार कच्चे मकान में रहते हैं।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे की पहचान ठेठ ग्रामीण नेता के रूप में रही है। समर्थकों के साथ छत्तीसगढ़ में उनका संवाद और साधारण वेशभूषा चर्चा का विषय रहता है। साजा विधानसभा के महुंआभाठा गांव में आज भी वे और उनका परिवार कच्चे मकान में रहते हैं।
परंपरागत सीट से लड़ा चुनाव
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने मां कुमारी देवी चौबे के पराजय के बाद वर्ष 1985 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। मां के बाद बेटे ने साजा सीट से शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद वे लगातार सात बार साजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वर्ष 2013 में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में फिर से साजा विधानसभा क्षेत्र में कब्जा जमाते हुए सातवी जीत दर्ज की।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने मां कुमारी देवी चौबे के पराजय के बाद वर्ष 1985 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था। मां के बाद बेटे ने साजा सीट से शानदार जीत दर्ज की। इसके बाद वे लगातार सात बार साजा विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वर्ष 2013 में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2018 के विधानसभा चुनाव में फिर से साजा विधानसभा क्षेत्र में कब्जा जमाते हुए सातवी जीत दर्ज की।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे दुर्ग जिला पंचायत के पहले अध्यक्ष भी रहे हैं। इसके अलावा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के उपाध्यक्ष, जिला थोक उपभोक्ता सहकारी समिति के भी वे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे। जनपद पंचायत साजा के अध्यक्ष का पद भी वे संभाल चुके हैं।