3 साल के बेटे की जिंदगी है 16 करोड़ का इंजेक्शन, पिता ने कोरोनाकाल में क्राउड फंडिंग से जुटाए 4 करोड़, पर ये काफी नहीं...
नन्हा अयांश स्पाइनल मस्क्यूलर एथ्रोपी (एसएमए टाइप 1) से जूझ रहा है। यह बीमारी लगभग दस लाख बच्चों में से किसी एक को होती है। (chhattisgarh government)

दाक्षी साहू @भिलाई. दुनिया की दुर्लभ बीमारी से जूझ रहे लगभग तीन साल के बेटे की जिंदगी बचाने के लिए जब एक पिता ने मदद की गुहार लगाई तो कोरोनाकाल में लोगों दान में पैसों के साथ ढेर सारी दुआएं भी देना शुरू कर दिया। दुर्ग गंजपारा निवासी दो साल 9 महीने का नन्हा अयांश स्पाइनल मस्क्यूलर एथ्रोपी (एसएमए टाइप 1) से जूझ रहा है। यह बीमारी लगभग दस लाख बच्चों में से किसी एक को होती है। भारत में इस बीमारी का अभी तक इलाज संभव नहीं हो पाया। इसके उपचार के लिए हमारा देश अमेरिका पर निर्भर है। अमेरिका ने जो दवाई बनाई है उसकी कीमत भी 16 करोड़ रुपए जो भारत में टैक्स के साथ और भी ज्यादा महंंगी हो जाती है। ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले इंजीनियर पिता योगेश गुप्ता ने बेटे की जान बचाने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगाई मदद की गुहार
क्राउड फंडिंग के जरिए दुनियाभर के लोग अब तक अयांश के इलाज के लिए चार करोड़ रुपए दान कर चुके हैं, लेकिन यह रकम 16 करोड़ के इंजेक्शन खरीदने के लिए काफी नहीं है। अयांश के पिता ने बताया कि उन्होंने बेटे के इलाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) से लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक गुहार लगाई है। केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से कोई भी जवाब नहीं आया है। अपनी आंखों की सामने मासूम को यूं रोज मरता हुए देखना एक बेबस पिता की मजबूरी बन गई है। हर दिन मदद के आवेदन और गुहार लेकर वे सरकारी दफ्तरों से लेकर सोशल मीडिया साइट्स तक की खाक छानते हैं। अफसोस सरकारी तंत्र को इस जिंदगी की जंग हारते बच्चे पर अभी तक तरस नहीं आया है।
हर दिन घट रही बेटे की उम्र
आम बच्चों की जहां समय के साथ उम्र बढ़ती है पर यहां अयांश की उम्र हर दिन घटती जा रही है। पिता ने बताया कि बेटे को जल्द ही यह इंजेक्शन नहीं लगा तो वह मौत की नींद सो जाएगा। अगर दूसरा बच्चा प्लान भी कर लेते हैं तो जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण वह बच्चा भी सामान्य जिंदगी नहीं जी पाएगा। अयांश, 2 साल 9 महीने का हो चुका है, लेकिन अभी वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाता। वह खाना चबा नहीं सकता। अपने बल पर बैठ नहीं सकता। यहां तक कि उसकी छाती की मांसपेशियों में इतनी ताकत भी नहीं कि वह ठीक से पूरी सांस ले सके। भगवान ने उसे दिमाग दिया है, समझदार भी बनाया है, आवाज दी है, लेकिन एक जीन नहीं दिया। यह जीन शरीर में एक खास प्रकार का प्रोटीन बनाता है, जिससे बॉडी की सारी मांसपेशियां चलती हैं। इस जीन के बिना अयांश का जीवन अधूरा है। सिर्फ एक इंजेक्शन, इस बच्चे की सारी समस्या का इलाज है, लेकिन इस एक इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए है, जो अयांश के माता-पिता के लिए जुटा पाना आसान नहीं है।
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