जमीन के नीचे ही दफ्न हो जान का डर
भिलाई इस्पात संयंत्र में 40 से 85 सीढ़ी नीचे जाकर कर्मचारी अकेले ड्यूटी देते हैं। इस दौरान इनकी अगर तबीयत बिगड़ गई, तो अगले शिफ्ट तक किसी को मालूम ही नहीं पड़ेगा। कर्मियों को जमीन के नीचे तंहाई से छुटकारा दिलाने के लिए अब तक जो प्रयास किए गए हैं। उससे कर्मियों को लाभ नहीं मिला है। बीएसपी में जमीन के नीचे पंप हाऊस में अकेले कर्मचारी काम करते हैं। इन कर्मचारियों को जमीन के इतने नीचे जाकर बैठना पड़ता है, कि दूसरे कर्मचारी से उनकी मुलाकात भी नहीं हो पाती। कर्मचारियों की यह दिक्कत पंप हाऊस में गैस हादसे की घटना के बाद प्रकाश में आई है। इसके बाद प्रबंधन ने बीएसपी कर्मचारी के साथ एक मजदूर को तैनात कर दिया।
हो चुकी है मौत
पंप हाऊस-34 में पहुंचने के लिए कर्मचारी को तकरीबन 85 सीढ़ी नीचे उतरना पड़ता है। बीमार कर्मचारी की यहां ड्यूटी लगने से वह नीचे उतरने व चढऩे में ही पस्त हो जाता है। बीएसपी के पम्प हाउस-34 में अक्टूबर-13 को नियमित कर्मचारी मनसाराम बेहोश पाया गया। वे भीतर में उल्टी करने के बाद बेहोश मिला था। इसके बाद तुरंत मेनमेडिकल पोस्ट से बीएसपी के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय, सेक्टर-9 अस्पताल रेफर किया गया। जहां दूसरे दिन उसकी मौत हो गई। इस मामले को लेकर यूनियन ने तात्कालीन एचओडी डीजीएम इंचार्ज पीके तेलंग से चर्चा की, लेकिन मेन पॉवर की कमी का हवाला देते हुए मामले को टाल दिया गया। इसी तरह से सीढ़ी चढऩे के दौरान पिछले वर्ष पंप हाऊस कर्मचारी कमल सिन्हा की तबीयत बिगड़ गई थी। अस्पताल में दाखिल किया गया, जहां उनकी मौत हो गई थी।
शौचालय भी नहीं
बीएसपी के पंप हाऊस में शौचालय भी नहीं है। कर्मचारी को जब शौच जाने की जरूरत होती है, तो वह बाहर निकलता है। रात के वक्त 8 घंटे तक लगातार अकेले ड्यूटी करने वाले कर्मचारी अधिक तनाव में रहते हैं। पंप हाऊस के कर्मचारियों को स्वच्छ हवा मिले इसके लिए जो व्यवस्था की गई है, वह भी अब वक्त के साथ पुरानी हो चुकी है।
ऊपर केबिन बने
बीएसपी कर्मचारी चाहते हैं कि संयंत्र में पंप हाऊस पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ऊपर केबिन बना दिया जाए। इससे कर्मचारियों को लंबे समय तक नीचे रहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पंप हाऊस में कर्मियों को वायब्रेशन, ऑयल लेवल, टेंप्रेचर जांचने का काम करना होता है।
श्रमिक नेता को टाल दिए एचओडी
उस वक्त पंप हाऊस में काम करने वाले कर्मियों को नीचे से ऊपर लाने के प्रयास में श्रमिक नेता जुड़ गए. इस मांग को लेकर पहले प्रतिनिधि यूनियन सीटू के नेता वाटर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट (डब्ल्यूएमडी) के एचओडी पीके गुप्ता से मुलाकात किए। यूनियन की मांग को उन्होंने सुना और टाल दिया।
सेफ्टी जीएम ने सुना, ईडी ने माना
कर्मियों की दिक्कत को श्रमिक नेता सेफ्टी के जीएम पाण्डयाराजा के सामने रखे। उन्होंने इसे सूना। इस मामले को प्रबंधन के साथ बैठक के दौरान सीटू के अध्यक्ष एसपी डे ने तात्कालीन ईडी वायके डेगन के समक्ष रखा। ईडी ने माना कि कर्मियों को इस स्थान पर अकेले काम करना पड़ता है। प्रबंधन ऊपर केबिन बनाने प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इसके बाद यह दिक्कत दूर हो जाएगी। अब तक कुछ नहीं हुआ और फिर हादसे हो रहे हैं।
प्रस्ताव पर अमलीजामा पहनाने तक
श्रमिक नेताओं ने प्रबंधन के सामने सवाल उठाया है कि जब तक प्रस्ताव तैयार होकर इस पर अमलीजामा पहनाया जाएगा। तब तक बहुत वक्त लगेगा। उसके पहले प्रबंधन इन श्रमिकों के लिए अस्थाई व्यवस्था विकल्प के तौर पर दे। तब भी मिल गया था, आश्वासन, अब प्रबंधन फिर वही देकर पल्लाझाड़ लेगा।
बीएसपी में है 45 पंप हाऊस
बीएसपी के वाटर सप्लाई डिपार्टमेंट के अंतर्गत 45 पंप हाउस है। इसमें से कुछ वीराने में हैं। इन पंप हाउस में प्रबंधन ने एक कर्मचारियों को तैनात किया है। यूनियन यहां दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की मांग कर रहा है। इसके अलावा अन्य पंप हाउस में एक नियमित कर्मचारी के साथ पीआरडब्ल्यू कर्मचारी देने की मांग कर रहा है।
यह है डेंजर पंप
भिलाई इस्पात संयंत्र में 2.5 मिलियन टन वाले हिस्से में पंप हाऊस-2 व 11 में काम करना आसान नहीं है। बीएसपी के पंप हाऊस-2 में 12 जून 14 को हुए गैस हादसे के दौरान 6 की जान जा चुकी है। इसी तरह से 11 और नीचे होने की वजह से काम करने वालों के लिए एक चुनौती की तरह है। बीएसपी के 4 मिलियन टन के तीन पंप हाऊस भी खतरनाक है। यहां काम करने वालों को जमीन के बहुत नीचे जाकर काम करना पड़ता है।
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