नहीं हो रही बैठक सहायक उद्यमियों की दिक्कतों को प्लांट लेवल एडवायजरी कमेटी (पीएलएसी) में रखा जाता था। इस बैठक में राज्य शासन, जिला प्रशासन, बीएसपी उच्च प्रबंधन व सहायक उद्यमियों के प्रतिनिधि शामिल होते थे। यह बैठक भी बंद हो गई है। इससे सहायक उद्यमियों की परेशानियों को रखने कोई मंच भी नहीं बचा है।
बदल दिया ट्रेड बीएसपी से सहायक उद्योगों को काम मिलना जब बंद हो गया, तब उद्यमियों ने बीएसपी के लिए जो उपकरण (जॉब) बनाते थे, उसे बंद कर दिए। अब वे ट्रेडिंग के काम में लग गए हैं। पहले बीएसपी कर्मियों के लिए जूते सहायक उद्योगों से बनकर आते थे। प्रबंधन ने अब यह काम दूसरी कंपनी को दे दिया। इससे यहां का उद्योग बंद हो गया। इस तरह के करीब २०० उद्योग हैं, जो बंद होने की कगार पर हैं।
खाली पड़ी है मशीनें बीएसपी के सहायक उद्यमियों के उद्योगों में काम नहीं है। उद्यमियों ने बताया कि मशीनें बंद पड़ी है। श्रमिकों की संख्या ३० थी, उसे घटाकर १५ कर दिया है। काम सिर्फ जनरल शिफ्ट में किया जा रहा है। एक उद्यमी ने बताया कि काम अभी बिल्कुल नहीं है। इसके बाद भी हर दिन उद्योग में आकर बैठ रहे हैं। उम्मीद है कि बीएसपी प्रबंधन से चर्चा के बाद कोई रास्ता खुले। यही हाल रहा था, दूसरा बिजनेस तलाशना पड़ेगा।
देश-विदेश के उद्यमियों ने किया काम बीएसपी ने एक्सपांशन के दौरान देश और विदेशों के उद्यमियों को करोड़ों का काम दिया। जर्मनी, चीन, कोलकाता की कंपनियों ने इस दौरान बीएसपी का काम किए। उद्यमियों का यह कहना भी सही है कि जो काम बाहर की कंपनी ने किया, उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में स्थानीय उद्योगों को दिया जा सकता था। इससे उनके पास भी काम रहता और समय पर एक्सपांशन का काम हो जाता।
बैंकों में गिर रही साख सहायक उद्यमियों का कहना है कि काम में लगातार कमी आने के कारण बैंक से लिए लोन को नियमित जमा करने में दिक्कत आ रही है। समय पर बैंक का पैसा जमा नहीं करने से वहां उनकी साख गिर रही है।
मेक इन इंडिया पर नहीं है ध्यान सहायक उद्यमी चाहते हैं कि देश के प्रधानमंत्री के नारा को ध्यान में रखकर बीएसपी प्रबंधन काम करे। प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया का नारा दे रहे हैं, इसके बाद भी लगातार काम बाहर जा रहा है। हमारे उद्योगों के हाथ खाली होते जा रहे हैं।