परिवार के सदस्यों का भी रेपिड किट से जांच जरूरी
नागपुर में छात्र एक साथ रह रहे थे, जहां एक को पहले डेंगू मच्छर ने काटा और इसके बाद अन्य भी उसका शिकार हुए। इस तरह बाद में सभी को बुखार आने लगा। एक मच्छर पहले डेंगू पीडि़त को काट ले और फिर दूसरे को काटे तब वह इसे फैलाता है। यही कारण हैं कि अस्पताल में डेंगू पीडि़त को आइसोलेट कर मच्छरदानी में रखते हैं। महाराष्ट्र से जो छात्र लौटे हैं और डेंगू पॉजिटिव रहे हैं, उनके परिवार का भी रेपिड टेस्ट किया जाना चाहिए। जिससे डेंगू बुखार को और फैलने से रोका जा सके।
पानी हो रहा जगह-जगह जमा
बारिश की वजह से शहर में जगह-जगह साफ पानी एकत्र हो रहा है। जिसे डेंगू के लार्वा को पनपने के लिए मुफीद माना जाता है। शहर में जहां बड़े जगह में पानी जमा हो गया है, वहां काला तेल का छिड़काव करने की जरूरत है। वहीं मच्छर से निपटने हर दिन फॉगिंग मशीन अलग-अलग क्षेत्र में दौड़ाना होगा। अलग-अलग नगरीय निकाय और बीएसपी के अधिकारियों को इस काम को अंजाम देना है। मच्छरों का प्रकोप जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे डेंगू के साथ-साथ मलेरिया के मरीज भी बढ़ सकते हैं।
मैदान के मैदान डिस्पोजल से हैं पटे
विभाग की ओर से जब भी अभियान छेड़ा जाता और अफसरों का दौरा होता है तब ही दवा का छिड़काव किया जाता है। इसे रुटीन में शामिल करने की जरूरत है। लोगों के घरों में दवा का बोतल निगम ने बांट दिया है। इसके बाद घरों के आसपास रखे पात्र और मैदान में पड़े डिस्पोजल में एकत्र हो रहे बारिश के साफ पानी पर किसी की नजर नहीं जाती। यह जिला में डेंगू फैलाने की बड़ी वजह साबित हो सकते हैं। मैदान के मैदान डिस्पोजल से पटे पड़े हैं। यह हालात टाउनशिप और पटरीपार दोनों ही जगह देखने को मिल सकते हैं। कोतवाली थाना के सामने हो या छावनी में शराब दुकान के समीप चल रहे अहाता के पास।
लाखों की आबादी एक विशेषज्ञ नहीं
जिला में लाखों की आबादी है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के पास एक कीट विज्ञान शास्त्री नहीं है। कीट विज्ञान शास्त्री क्षेत्र में जहां भी लार्वा की जांच करने पहुंचे तो वह डेंगू फैलाने वाले मच्छर की पुष्टी कर सकता है। वे कीट के सहारे अंडा, लार्वा, प्यूपा का संग्रहण कर जांच कर बता सकता है। इस वक्त नमूना एकत्र कर रायपुर भेजा जाता है। वहां से जांच कर रिपोर्ट भेजा जाता है। तब तक खासा समय बीत जाता है।
जिला में डेंगू के नाम से डर जाते हैं लोग
जिला में डेंगू से जब 2018 में मौत होने लगी थी, तब तमाम निजी अस्पतालों को भी मरीजों को मुफ्त में इलाज करने शासन ने कहा था। जिसके बदली में सरकार ने उनको दाखिल मरीज के मुताबिक रकम भुगतान किया था। टाउनशिप से लेकर पटरीपार क्षेत्र में हर दिन मौत हो रही थी। यूनियन के नेता तक दवा का छिड़काव करने आगे आ गए थे। वह दिन फिर देखना न पड़े यह हर कोई दुआ करता है। तब जिला में करीब 52 लोगों की मौत हुई थी। जिसमें से विभाग 11 की पुष्टि करता है और 26 को संभावित केस मानता है। इस तरह से सिर्फ 37 मामले को ही डेंगू से जुड़ा मानता है।