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आसाराम को सजा : जोधपुर कोर्ट का फैसला आया, दुर्ग के बेलौदी आश्रम में पहुंची पुलिस

locationभिलाईPublished: Apr 25, 2018 04:21:04 pm

Submitted by:

Nitin Tripathi

दुर्ग के बेलौदी आश्रम में अनुयायी करते रहे अनुष्ठान ताकि आसाराम के हक में आए फैसला

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दुर्ग . आसाराम को पॉक्सो एक्ट में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में जोधपुर कोर्ट का फैसला आते ही दुर्ग पुलिस ने स्थानीय बेलौदी आश्रम में दबिश दी। आश्रम का जायजा लिया गया। अचानक पुलिस पहुंचने से आसाराम के अनुयायी भी हैरान थे। ऐहतियात के तौर पर यहां पुलिस तैनात की गई है।
जोधपुर अदालत बुधवार को फैसला सुनाने वाली थी, इसलिए जिला पुलिस पहले से ही बेलौदी के आसाराम आश्रम पर नजर रखे हुए थी। बुधवार दोपहर को जैसे ही आसाराम को दोषी करार दिया गया, वैसे ही पुलिस ने स्थानीय आश्रम में दबिश दी। दुर्ग पुलगांव थाना और राजनांदगांव के सोमनी थाना की संयुक्त टीम यहां पहुंची। पुलिस ने यहां के माहौल का जायजा लिया। उस वक्त आश्रम में आसाराम के अनुयायी मौजूद थे। हालांकि पुलिस को यहां कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा। फिर भी आश्रम के आसपास पुलिस तैनात की गई है।
आसाराम के हक में आए फैसला, इसलिए की पूजा
बेलौदी स्थित आसाराम आश्रम में बुधवार को सुबह से पूजन-पाठ चल रहा था। बताया जा रहा है कि अनुयायी मंत्रोच्चार के साथ विशेष अनुष्ठान कर रहे थे, ताकि अदालत का फैसला आसाराम के हक में आए। इस संबंध में कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं था।
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जोधपुर कोर्ट का फैसला : आसाराम को उम्र कैद

गुरुकुल की नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में 56 माह से जेल में बंद आसाराम को दोषी मानते हुए जोधपुर कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आसाराम के लिए इस सजा का ऐलान किया। अब आसाराम को जीवनभर सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा। सजा सुनाते ही आसाराम फूट-फूट कर रोने लग गया। आसाराम सुनवाई के दौरान बैरक में 15 मिनट तक प्रार्थना करता रहा। कोर्ट में पूरी सुनवाई के दौरान भी राम-राम जपता रहा। आसाराम के सेवादारों को भी सजा का ऐलान किया गया। दोषी करार दिए गए उनके सह आरोपियों में शिल्पी और शरद को 20-20 साल की सजा का ऐलान किया गया। 2 अन्य व्यक्तियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। पीडि़ता के अधिवक्ता ने अदालत में याचिका दाखिल कर एक करोड़ रूपये मुआवजे की मांग की है। आसाराम के वकील नीलम दुबे ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जागी।
आंखों से छलकने लगे आंसू
न्यायाधीश द्वारा दोषी करार देते ही कथा वाचक आसाराम सिर पकड़ कर बैठ गया और उसी समय वह राम नाम का जाप करने लगा। उम्र कैद की सजा सुनाते ही उसकी आखों में आसूं छलक पड़े। अदालत द्वारा दोषी करार देने के बाद सजा के बारे में दोनों पक्षों की ओर से दलील दी गयी। आसाराम के अधिवक्ताओं ने उनकी उम्र का हवाला देते हुये कम से कम सजा देने की दलील दी, लेकिन अदालत ने इसे नही माना। अदालत ने इस प्रकरण में उनके दो सेवादारों शरत चन्द्र और शिल्पी को भी दोषी मानते हुये दोनों को बीस- बीस साल की सजा सुनाई। जबकि दो अन्य सेवादारों प्रकाश और शिवा को बरी कर दिया।
आसाराम की ओर से वकीलों ने 3 दलीलें रखीं:
– सजा सुनाते वक्त आसाराम की उम्र का ध्यान रखा जाए।
– आसाराम समाज को अच्छे संदेश देते हैं देश भर में करोड़ों अनुयायी हैं, उनकी धर्म उपदेशक की छवि को ध्यान में रखा जाए।
– वकीलों ने ये भी कहा कि आसाराम आदतन अपराधी नहीं हैं उनसे आम अपराधियों जैसा सलूक न हो।
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