भिलाई

छत्तीसगढ़ के इस खाली पड़े माइंस में आकार ले रहा एशिया का पहला मानव निर्मित जंगल, 17 किमी. में फैला, 83 हजार से ज्यादा पौधे

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नंदिनी माइंस में जन वन में बरगद का पौधा लगाकर कही। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है।

भिलाईSep 16, 2021 / 01:02 pm

Dakshi Sahu

छत्तीसगढ़ के इस खाली पड़े माइंस में आकार ले रहा एशिया का पहला मानव निर्मित जंगल, 17 किमी. में फैला, 83 हजार से ज्यादा पौधे

भिलाई. एशिया में पर्यावरण की मानव निर्मित विशाल धरोहर दुर्ग जिले में बनी है। खाली पड़ी नंदिनी माइंस में जन-वन निर्मित कर यह देश ही नहीं दुनिया के लिए बड़ा उदाहरण बन गया है कि आखिर किस तरह हम पर्यारण संरक्षण की दिशा में मिलकर जंगल और जमीन को बचा सकते हैं। यह बाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नंदिनी माइंस में जन वन में बरगद का पौधा लगाकर कही। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है। पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है। यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे, फलों के बगीचे विकसित करें ताकि लोग न सिर्फ उन्हें देख सकें बल्कि खुद तोड़कर फलों का स्वाद भी ले सकें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए यह बड़ी पहल है। क्योंकि कोरोना काल में सभी को ऑक्सीजन की कीमत समझ आई है। इस जन-वन से प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी।
सीएम ने किया अवलोकन
मुख्यमंत्री ने इस प्रोजेक्ट का अवलोकन किया। नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीन में लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है। इस अवसर पर वन मंत्री मो अकबर ने कहा कि हमने प्रकृति को सहेजने बड़े निर्णय लिए। चाहे लेमरू प्रोजेक्ट हो या नदियों के किनारे प्लांटेशन, प्रकृति को हमने हमेशा तवज्जो दी। यह मानव निर्मित जंगल का बड़ा काम हुआ है। इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री एवं वनमंत्री मोहम्मद अकबर, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल ने भी पौधरोपण किया।
17 किलोमीटर में फैला है जंगल, 83 हजार पौधे और लगाए
17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं। अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाए गए हैं। इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई। इस अवसर पर पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने विस्तार से प्रोजेक्ट की जानकारी दी। सीएफ शालिनी रैना ने भी प्रोजेक्ट की टीम को बधाई दी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे एवं डीएफओ धम्मशील गणवीर ने मुख्यमंत्री को बताया कि 83 हजार पौधे लगाये जा चुके हैं। 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा। यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा। डीएफओ गणवीर ने बताया कि यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुआ जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गए हैं। इस मौके पर पीसीसीएफ वन्य संरक्षण नरसिंह राव, लघु वनोपज के एमडी संजय शुक्ला, आईजी विवेकानंद सिन्हा एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। बीएसपी सीईओ अनिर्बान दासगुप्ता भी उपस्थित थे।
पक्षियों के लिए आदर्श रहवास
पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बनेगा तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित होगा। यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क आदि लक्षित किए गए हैं। यहां झील को तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित होगा।
इको टूरिज्म का होगा विकास
इसके साथ ही इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी। इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई गई है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश के सबसे बेहतरीन घूमने की जगह में शामिल हो सके। इस संबंध में मुख्यमंत्री बघेल ने भी कई सुझाव दिए जिससे यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बना सके।

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