गुमशुदा हुए बच्चे को ऑटो चालक ने सौंपा पुलिस को
ऑटो चालक रत्नेश निषाद अपने छावनी चौक घर से सुबह निकला। एक घंटे बाद उसकी पत्नी रेशमादेवी अपने बेटे सिद्धार्थ को पड़ोसी के पास छोड़कर बैंक चली गई। इस बीच बच्चा वहां से निकल गया। मां को ढूंढते-ढूंढते सुपेला आ पहुंचा। इधर जब मां रेशमा आई तो देखा सिद्धार्थ नहीं था। उसने पड़ोसियों के यहां खोजा। पति रत्नेश को फोन किया। रत्नेश ने पुलिस को सूचना दी। (Bhilai news)
ऑटो चालक रत्नेश निषाद अपने छावनी चौक घर से सुबह निकला। एक घंटे बाद उसकी पत्नी रेशमादेवी अपने बेटे सिद्धार्थ को पड़ोसी के पास छोड़कर बैंक चली गई। इस बीच बच्चा वहां से निकल गया। मां को ढूंढते-ढूंढते सुपेला आ पहुंचा। इधर जब मां रेशमा आई तो देखा सिद्धार्थ नहीं था। उसने पड़ोसियों के यहां खोजा। पति रत्नेश को फोन किया। रत्नेश ने पुलिस को सूचना दी। (Bhilai news)
पुलिस पेट्रोलिंग टीम ने भी दिखाई तत्परता
सुपेला टीआई राजेन्द्र कवर ने पेट्रोलिंग टीम आरक्षक आशीष कुमार और धर्मेन्द्र सूर्यवंशी को रवाना किया। दोनों आरक्षक बच्चे की तलाश करते हुए सुपेला क्षेत्र में खोजबीन कर रहे थे। करीब 1 बजे सुपेला टीम घड़ी चौक के पास गाड़ी खड़ी कर वाहनों और सड़क पर नजर दौड़ा रहे थे। तभी ऑटो चालक बच्चे को लेकर उनके पास पहुंचा।
सुपेला टीआई राजेन्द्र कवर ने पेट्रोलिंग टीम आरक्षक आशीष कुमार और धर्मेन्द्र सूर्यवंशी को रवाना किया। दोनों आरक्षक बच्चे की तलाश करते हुए सुपेला क्षेत्र में खोजबीन कर रहे थे। करीब 1 बजे सुपेला टीम घड़ी चौक के पास गाड़ी खड़ी कर वाहनों और सड़क पर नजर दौड़ा रहे थे। तभी ऑटो चालक बच्चे को लेकर उनके पास पहुंचा।
इस सच्ची कहानी का ‘नायकÓ ऑटो चालक
किसी भी कहानी की तरह इस वाकए में भी एक नायक है। वह नायक ऑटो चालक है, जिसने रोते हुए बच्चे को रोककर उसके बारे में मालूम किया। पुलिस की गाड़ी को देख दो युवक पेशे से ऑटो चालक बच्चे को लेकर पहुंचे। दोनों ने आरक्षकों को बताया यह मासूम इधर-उधर देखते हुए अपनी मां को ढूंढ रहा है। पूछने पर अपना नाम छिदंत बता रहा है।
किसी भी कहानी की तरह इस वाकए में भी एक नायक है। वह नायक ऑटो चालक है, जिसने रोते हुए बच्चे को रोककर उसके बारे में मालूम किया। पुलिस की गाड़ी को देख दो युवक पेशे से ऑटो चालक बच्चे को लेकर पहुंचे। दोनों ने आरक्षकों को बताया यह मासूम इधर-उधर देखते हुए अपनी मां को ढूंढ रहा है। पूछने पर अपना नाम छिदंत बता रहा है।
तीन घंटे में पुलिस को मिल गया बच्चा
करीब तीन घंटे तक परेशान होने के बाद बच्चा मिलने की सूचना फ ोन कर उसके पिता को दी। तब रत्नेश निषाद तुरंत ही थाना पहुंचा। बच्चे को पाकर फफक पड़ा और गोद में लेकर उसे दुलारने लगा। जिगर के टुकड़े को सकुशल मिलवाने के लिए उसने पुलिस को धन्यवाद दिया। एएसपी रोहित कुमार झा ने बताया किआरक्षकों ने नेक कार्य किया है। बिछड़े हुए परिजन से मासूम को मिलाया। उन ऑटो वालों का आभार व्यक्त करता हूं। अन्य ऑटो चालकों और जनता से अपील है कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए ऐसे हालात में मिले बच्चे को तत्काल थाना को सूचित करे या फिर थाना तक पहुंचा दें। (Bhilai news)
करीब तीन घंटे तक परेशान होने के बाद बच्चा मिलने की सूचना फ ोन कर उसके पिता को दी। तब रत्नेश निषाद तुरंत ही थाना पहुंचा। बच्चे को पाकर फफक पड़ा और गोद में लेकर उसे दुलारने लगा। जिगर के टुकड़े को सकुशल मिलवाने के लिए उसने पुलिस को धन्यवाद दिया। एएसपी रोहित कुमार झा ने बताया किआरक्षकों ने नेक कार्य किया है। बिछड़े हुए परिजन से मासूम को मिलाया। उन ऑटो वालों का आभार व्यक्त करता हूं। अन्य ऑटो चालकों और जनता से अपील है कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए ऐसे हालात में मिले बच्चे को तत्काल थाना को सूचित करे या फिर थाना तक पहुंचा दें। (Bhilai news)