ज्ञात रहे कि दंतेवाड़ा की क्षीरसागर दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति की तर्ज पर बालोद जिले में जिला स्तरीय दुग्ध उत्पाद एवं विपणन सहकारी समिति गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे कहा जा सकता है कि बालोद जिले ने श्वेत क्रांति की ओर एक और कदम बढ़ा लिया है। यह समिति दूध उत्पादकों से उचित मूल्य पर दूध क्रय करके उनका आर्थिक उन्नयन तो करेगी ही, साथ ही दूध के विभिन्न प्रोडक्ट तैयार कर जिले के लोगों को ताजा दूध उत्पाद भी उपलब्ध कराएगी।
इसके लिए गत दिनों जिला प्रशासन ने बालोद टॉउनहाल में कलक्टर सारांश मित्तर, जिला सहकारी संघ अध्यक्ष झुनमुन गुप्ता, पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ$ आरएस मौर्य, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं मुकेश धु्रवे व हिमांशु अग्रवाल सहित जिले के दूध उत्पादकों की प्रथम बैठक कर इसकी औपचारिक शुरुआत कर दी गई है। संजारी क्लब के समीप दुग्ध संयंत्र स्थापना का कार्य प्रारंभ हो चुका है।
दुग्ध उत्पादन व उपभोग में अग्रणी पंजाब राज्य में जन्मे बालोद कलक्टर सारांश मित्तर दूध और इसके उत्पादों की पौष्टिक महत्ता को बहुत अच्छे से समझते हैं। दूध उत्पादन से जुड़े लोगों की मेहनत व तकलीफ सेे भी वे भली-भांति वाकिफ हैं। वर्ष 2014 में दंतेवाडा में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में पदस्थी के दौरान इसी जज्बे के कारण उनकी नजर वहां के दूध उत्पादकों की तंगहाली की ओर गई थी।
डॉ. सारांश ने बताया तब मैंने दंतेवाड़ा में दूध उत्पादकों की बैठक कर क्षीर सागर दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति मर्यादित दंतेवाड़ा का पंजीयन करवाया। उसके बाद सहकारिता के माध्यम से काम करना सिखाया। सहकारी समिति में दूध से दही, मक्खन, घी, श्रीखण्ड, लस्सी जैसे विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनने लगे और उनके दूध का वाजिब दाम उन्हें मिलने लगा। डॉ. मित्तर का कहना है कि मात्र उन्नत नस्ल की गाएं, पशु चारा एवं डेयरी खटाल बनवा देने से इनका चेनल पूरा नहीं होता। इनके उत्पादों का जब तक भरपूर दाम नहीं मिलता है तब तक इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सकती।
बालोद जिला सहकारी संघ अध्यक्ष झुनमुन गुप्ता ने जानकारी दी कि बालोद जिले में कुल 25 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां कार्यरत थीं। गत वर्ष 28 नवीन दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों का गठन करने के बाद जिले में दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या बढ़ कर 53 हो गई है। जिले का दुग्ध उत्पादन 4000 लीटर प्रतिदिन से बढ़ कर 6000 लीटर प्रतिदिन हो चुका है। पशु पालन विभाग द्वारा हरा चारा विकास हेतु किए गए कार्यों से जहां दुग्ध उत्पादन ब$ढा वहीं सहकारिता विभाग ने नवीन दुग्ध सहकारी समितियों का पंजीयन कर दुग्ध उत्पादकों का शोषण रोकने में महति भूमिका निभाई।
इस महाअभियान की शुरूवात तत्कालीन कलक्टर राजेश सिंह राणा के मार्गदर्शन में 29 नवंबर 2016 को बालोद जिला सहकारी संघ कार्यालय में संबंधित सभी पक्षों की संयुक्त बैठक बुला कर की गई थी। इन्ही कार्यों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ$ सिंह ने 80 लाख रुपए की लागत से बालोद में दुग्ध संयंत्र की घोषणा की थी, जो आज मूर्तरूप ले रहा है। टेंडर आदि की प्रक्रिया पूर्ण कर संयंत्र निर्माण का कार्य प्रगति पर है। वर्तमान कलक्टर सारांश मित्तर ने दंतेवाड़ा जैसे स्थान में इसका सफल संचालन कर श्वेत क्रांति का आगाज किया था, यहां भी निश्चित ही सफलता मिलेगी।