script

रक्षा बंधन: सांसें न हो कम इसलिए सैकड़ों पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ग्रीन कमांडो वीरेंद्र

locationभिलाईPublished: Aug 03, 2020 11:38:30 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

दुर्ग संभाग के बालोद जिले के एक युवा पर्यावरण एक्टिविस्ट ने इस रक्षाबंधन सैकड़ों पेड़ों को अनोखी राखी बांधकर अपने प्रकृति प्रेम का इजहार किया है।(environment activist chhattisgarh virendra singh )

रक्षा बंधन: सांसें न हो कम इसलिए सैकड़ों पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ग्रीन कमांडो वीरेंद्र

रक्षा बंधन: सांसें न हो कम इसलिए सैकड़ों पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ग्रीन कमांडो वीरेंद्र

दाक्षी साहू @भिलाई. दुर्ग संभाग के बालोद जिले के एक युवा पर्यावरण एक्टिविस्ट ने इस रक्षाबंधन सैकड़ों पेड़ों को अनोखी राखी बांधकर अपने प्रकृति प्रेम का इजहार किया है। ग्रीन कमांडो के नाम से मशहूर दल्लीराजहरा निवासी वीरेंद्र सिंह ने वेस्ट मटेरियल से लगभग पांच फीट ऊंची राखी बनाई है। इन राखियों को पेड़ों में बांधने से पहले उस पर कोरोना से बचाव के उद्देश्य से महत्वपूर्ण संदेश भी लिखे गए हैं। ताकि लोग पेड़ों पर बंधी इन राखियों के संदेश पढ़कर न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण बल्कि कोरोना के प्रति भी जागरूक हों। महामारी के दौर में अपनी अलग सोच को मूर्त रूप देने वाले वीरेंद्र कहते हैं कि रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन नहीं बल्कि प्रकृति और मानवीय रिश्तों के प्रेम और रक्षा का भी प्रतीक है। जिस प्रकृति की गोद में जीवन पनपता है, उसकी रक्षा करने का दायित्व भी हम इंसानों का है। (Raksha bandhan festival unique story)
कोरोना काल में भी नहीं रूके कदम
इस साल पूरी दुनिया कोविड के संक्रमण से जूझ रही है। ऐसे में ग्रीन कमांडो के कदम कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई। बारिश का मौसम होने के कारण वे हर रोज अपने साथ दर्जनों नन्हें पौधे घर से लेकर निकलते हैं। जहां खाली जगह दिखी वहां बड़े प्यार से इन पौधों को रोप देते हैं ताकि आने वाली पीढिय़ां हरियाली से महरूम न रह जाए। बिना किसी दिखावा और प्रसिद्धि पाने की होड़ से कोसों दूर वे पिछले बीस सालों से खुद को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुपचाप कार्य कर रहे हैं।
रक्षा बंधन: सांसें न हो कम इसलिए सैकड़ों पेड़ों को राखी बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लेने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ग्रीन कमांडो वीरेंद्र
जहां है हरियाली वहां है खुशहाली
एक निजी कंपनी में काम करने वाले वीरेंद्र अपनी सैलरी का आधा हिस्सा हर महीने पेड़-पौधों की देखरेख और उनके संरक्षण में खर्च कर देते हैं। बालोद के अलावा कांकेर जिले में बिना किसी सरकारी मदद के हजारों पेड़ों के संरक्षक बन चुके वीरेंद्र कहते हैं, जहां है हरियाली वहां है खुशहाली, यह नारा पढऩे में कितना अच्छा लगता है। लोग जिस दिन इस संदेश को अपने जीवन में अपना लेंगे उस दिन सच में हरियाली और खुशियां दुनिया का दामन थाम लेंगी।

ट्रेंडिंग वीडियो