इस साल पूरी दुनिया कोविड के संक्रमण से जूझ रही है। ऐसे में ग्रीन कमांडो के कदम कोरोना महामारी भी नहीं रोक पाई। बारिश का मौसम होने के कारण वे हर रोज अपने साथ दर्जनों नन्हें पौधे घर से लेकर निकलते हैं। जहां खाली जगह दिखी वहां बड़े प्यार से इन पौधों को रोप देते हैं ताकि आने वाली पीढिय़ां हरियाली से महरूम न रह जाए। बिना किसी दिखावा और प्रसिद्धि पाने की होड़ से कोसों दूर वे पिछले बीस सालों से खुद को प्रकृति के लिए समर्पित कर चुपचाप कार्य कर रहे हैं।
एक निजी कंपनी में काम करने वाले वीरेंद्र अपनी सैलरी का आधा हिस्सा हर महीने पेड़-पौधों की देखरेख और उनके संरक्षण में खर्च कर देते हैं। बालोद के अलावा कांकेर जिले में बिना किसी सरकारी मदद के हजारों पेड़ों के संरक्षक बन चुके वीरेंद्र कहते हैं, जहां है हरियाली वहां है खुशहाली, यह नारा पढऩे में कितना अच्छा लगता है। लोग जिस दिन इस संदेश को अपने जीवन में अपना लेंगे उस दिन सच में हरियाली और खुशियां दुनिया का दामन थाम लेंगी।