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चुनाव से ठीक पहले बदले गए भिलाई और रिसाली निगम आयुक्त, ऋतुराज के जाने और प्रकाश आने के राजनीतिक मायने

locationभिलाईPublished: Sep 14, 2021 11:00:12 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

राज्य प्रशासनिक सेवा के 96 अफसरों की दूसरी सूची भी जारी हो गई, जिसमें भिलाई से अलग होकर स्वतंत्र नगर निगम बने रिसाली के आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे का नाम था।

भिलाई. रविवार को प्रदेश में दो बड़ी प्रशासनिक सर्जरी हुई। पहले 21 आईएएस (IAS) अफसरों का तबादला आदेश जारी हुआ जिसमें भिलाई नगर निगम (Bhilai Municipal corporation) के आयुक्त आईएएस ऋतुराज रघुवंशी भी प्रभावित हुए। देर शाम राज्य प्रशासनिक सेवा के 96 अफसरों की दूसरी सूची भी जारी हो गई, जिसमें भिलाई से अलग होकर स्वतंत्र नगर निगम बने रिसाली के आयुक्त प्रकाश कुमार सर्वे का नाम था। ऋतुराज के जाने और प्रकाश के आने के इस प्रशासनिक फेरबदल के यहां बड़े राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
राजनीतिक हलकों में इस परिवर्तन को लेकर दो तरह की चर्चा है। पहली यह कि प्रकाश जिस तरह से नवगठित व सीमित संसाधनों वाले रिसाली नगर निगम में बेहतर काम कर रहे थे, इससे जनता के मन में कांग्रेस के प्रति अच्छी छबि भी बन रही थी, वही काम अब पार्टी के कुछ लोग भिलाई में चाहते हैं। ताकि इसका फायदा आगामी नगर निगम चुनाव में कांग्रेस को मिले और वे भी खुद इसका क्रेडिट ले सकें।
दूसरी चर्चा कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति की है। प्रकाश के नेतृत्व में रिसाली निगम की पूरी टीम बेहतर काम कर रही थी, जिसका राजनीतिक लाभ वहां के कांग्रेस के बड़े नेता को सीधे मिल रहा था। पार्टी के कुछ लोगों को यह बिलकुल नहीं सुहा रहा था। जैसा कि रिसाली में पूर्व में बहुप्रचारित हो चुका है कि वहां निगम चुनाव में महापौर का दावेदार कांग्रेस के एक कद्दावार नेता के परिवार से ही होगा। इस तरह जिसकी आंखों में यह किरकरी थी, उसने एक तीर से दो निशना साध लिया है।
प्रकाश इन कार्यों से रिसाली निगम ने सालभर में ही बना ली पहचान
0. प्रकाश आए दिन मॉर्निंग और सरप्राइज विजिट करते हैंं। मौके पर स्वयं मौजूद रहकर हर काम की मॉनिटरिंग करते हैं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर हमेशा सचेत रहते हैं।
0. निगम व ठेकेदारों की गलती को ढकने के बजाए खुद सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए सुधार का मौका देते हैं। उनकी यह बात जनता को खूब जचती है।
0 वे आयुक्त होने के बावजूद निगम के हर छोटे-बड़े अधिकारी और कर्मचारी के साथ स्वयं फील्ड में जाकर और बेहतर तालेमेल के साथ काम करते हैं।
0 कोरोना संकट के भीषण दौर में भी वे गली-गली, बस्ती-बस्ती जाकर लोगों का हालचाल जानते रहे। सीमित संसाधनों और कम मैनपॉवर के बावजूद कोरोना से बड़ी और निर्णायक लड़ाई लड़ी।
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