अब हाल ये है कि कॉलेजों में वोकेशनल ट्रेनिंग का केंद्र तो हैं, लेकिन प्रशिक्षण लेने वाले नहीं। मजे की बात ये है कि दुर्ग का बड़ा इंजीनियरिंग कॉलेज अपने यहां वीटीपी का संचालन होने की बात को ही सिरे से खारिज कर रहा है। जबकि जिले के अधिकारी इसी कॉलेज को वीपीटी दिए जाने के गवाह है।
कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी की मानें तो उन्होंने राज्य की इस योजना को कभी लिया ही नहीं, लेकिन हाल ही में उन्हें प्रधानमंत्री कौशल विकाय योजना से रजिस्ट्रेशन जरूर मिला है। वहीं एक अन्य इंजीनियरिंग कॉलेज का कहना है कि युवाओं को प्रशिक्षण के लिए खोजना बड़ी चुनौती है। इसी वजह से जितने टे्रड दिए गए हैं, उनते संचालित नहीं होते।
दो दर्जन से ज्यादा कॉलेज पीएमकेवीवाई में
इंजीनियरिंग कॉलेजों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत नामांकित होने को कहा। हाल ही में एआईसीटीई ने एक सूची जारी की है, जिसमें दुर्ग जिला सहित प्रदेश के दो दर्जन से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों के नाम है।
इंजीनियरिंग कॉलेजों को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत नामांकित होने को कहा। हाल ही में एआईसीटीई ने एक सूची जारी की है, जिसमें दुर्ग जिला सहित प्रदेश के दो दर्जन से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेजों के नाम है।
इस सूची में बताया गया है कि इंजीनियरिंग कॉलेज अब से अनट्रेंड युवाओं को शॉर्टटर्म कोर्स के जरिए प्रशिक्षित करेंगे। सूची में बीआईटी रायपुर , रूंगटा गू्रप, अशोका इंस्टीट्यूट, गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक धमतरी, सेंट्रल कॉलेज, सीएसआईटी, छत्तीसगढ़ इंजीनियरिंग कॉलेज सहित विभिन्न संस्थानों के नाम है।
सहायक संचालक सीएएसडीए डॉ. बी मुकोपाध्या ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों को वीटीपी के कोर्स संचालन को दिए गए थे, लेकिन उन्होंने कोई खास दिलचस्पी दिखाई। केंद्र तो अब भी है पर कोर्स नहीं कराए जाते। हमने हाल ही में कुछ कॉलेजों को नोटिस भी दिया है। पीएमकेवीवाई से उन्हें दोबारा वोकेशनल कोर्स मिले हैं या नहीं इसकी जानकारी मुझे नहीं है।