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गंवार सोचकर नहीं बोलता, कुंभकरण ने मना किया, हनुमान को चाहिए नई ड्रेस, ऐसी है हमारी रामलीला

locationभिलाईPublished: Sep 18, 2017 10:36:50 am

Submitted by:

Dakshi Sahu

22 स 25 लोगों की इस मंडली में इस बार कही कुंभकरण गायब है तो अंगद और हनुमान की ड्रेस अब छोटी हो गई है। इसबार तो नई ड्रेस के बिना वे नहीं मानेंगे।

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भिलाई. गंवार सोचकर नहीं बोलता, अमृत के पात्र में विष घोलता है, जानता नहीं मैं कौन हूं, जिससे भय खाता है नभ-मंडल, वह योद्धा मैं ही हूं, पूजता है जिसे भू-मंडल वह योद्धा मैं ही हूं.. हां मैं ही हूं.. शिवभक्त रावण…इस संवाद के बाद एक जोरदार हंसी की आवाज फिर अगले पात्र ने अपना संवाद बोला यह नजारा इन दिनों गांवों की रामलीला मंडली का है। जहां दशहरे में प्रस्तुति के लिए जमकर रिहर्सल चल रही है।
22 स 25 लोगों की इस मंडली में इस बार कही कुंभकरण गायब है तो अंगद और हनुमान की ड्रेस अब छोटी हो गई है। इसबार तो नई ड्रेस के बिना वे नहीं मानेंगे। एक जगह तो रावण का रोल करने वाले सरपंच बन गए तो मना कर दिया। इतनी सारी परेशानी के बीच भी मंडली के लोग ऐसे लोगों को ढूंढ रहे हैं जो इन पात्रों का अभिनय कर सकें। अपने अस्तित्व को बचाए रखने वाली रामलील मंडली अब गिनती के गांवों में ही रह गई है। मंडली में पैसों का अभाव और वेशभूषा से लेकर मेकअप तक के खर्च को किसी तरह मैनेज कर वे दशहरा की तैयारी में पूरे मन से जुट गए हैं।
रावण बने सरपंच अब कैसे करें रोल
कुथरेल गांव के सरपंच लोकनाथ साहू 15 वर्षो से रामलीला में रावण की भूमिका निभाते आ रहे हैं। दो साल पहले सरपंच बनने के बाद उन्होंने रावण का रोल करने से मना कर दिया। सरपंच बनने के बाद दशहरा के आयोजन में जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई। ऐसे में वे रोल कैसे कर पाते? गांव के युवक को तैयार किया। अब उनकी जगह उमेश साहू यह रोल निभाता है। वे बताते हैं कि उनकी मंडली भिलाई के खुर्सीपार में भी रामलीला करने जाती है।
इसलिए उनके यहां अभी से रिहर्सल शुरू भी हो गई है ताकि दशहरा तक सभी अपने संवाद अच्छी तरह याद कर लें। भटगांव के त्रिपुरारीदास वैष्णव और साहेबदास मानिक बताते हैं कि रामलीला का मजा जो 30 साल पहले था अब वैसा नहीं रहा। पांच दिनों तक रोज लोग रामलीला शुरू होने के आधे घंटे पहले ही जगह रोक लेते थे, पर टीवी कल्चर ने रामलीला को एक दिन में ही समेटने मजबूर कर दिया।
यहां तो कुंभकरण ही बीमार
शहर के नजदीक एक गांव की रामायण मंडली के सामने एक बड़ी परेशानी आ गई। दशहरा के 15 दिन पहले कुंभकरण का रोल करने वाले ने मना कर दिया। बीमार होने की वजह से अब वह रामलीला में हिस्सा नहीं लेगा। मंडली ने भी गांव के दो युवाओं को किसी तरह तैयार किया है। उन्हें कुंभकरण के संवाद भी दिए हैं ताकि दोनों उसे याद कर लें। अब इन दोनों युवाओं में से जो बेस्ट होगा वह इस रोल को करेगा।
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