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डिजिटल इंडिया के जमाने में बेरोजगार युवाओं ने ठुकराया ई-रोजगार पंजीयन, क्यों यहां पढ़े

locationभिलाईPublished: Aug 12, 2017 12:50:00 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

ई-रोजगार पंजीयन से युवाओं को कोई राहत नजर नहीं आ रही है। यानि पहले युवा इंटरनेट के मार्फत लंबा-चौड़ा आठ पन्नों का पंजीयन फार्म भरेंगे।

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डिजिटल इंडिया के जमाने में बेरोजगार युवाओं ने ठुकराया ई-रोजगार पंजीयन, क्यों यहां पढ़े

भिलाई. स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते ही युवाओं को सबसे पहले रोजगार कार्यालय नजर आता है। नौकरिया भले ही अब विभागीय या एग्जामिनेशन के जरिए मिलती हो, लेकिन फिर भी रोजगार पंजीयन करना वे नहीं भूलते। ऐसे में प्रशासन ने डिजिटल इंडिया के बहाने उनकी तकलीफ और खर्च पहले से ज्यादा बढ़ा दिया है।
शासन ने युवाओं को ई-रोजगार पंजीयन की सुविधा दी है, जो उन्हें थका रही है। पहले जहां युवाओं को सीधे एक बार में पंजीयन कार्यालय से सर्टिफिकेट मिल जाता था तो वहीं ई-रोजगार के जरिए पहले वे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं फिर अपने एकेडमिक सर्टिफिकेट को वेरीफाई रोजगार कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। शायद, युवाओं को यह बात समझ आ गई है। इसलिए उन्होंने इस सौगात को नाकार दिया है।
ऐसे समझें ई-रोजगार पंजीयन की खामी
ई-रोजगार पंजीयन से युवाओं को कोई राहत नजर नहीं आ रही है। यानि पहले युवा इंटरनेट के मार्फत लंबा-चौड़ा आठ पन्नों का पंजीयन फार्म भरेंगे। इसके बाद फार्म में दी गई जानकारी की पुष्टि के लिए उन्हें दोबारा रोजगार पंजीयन कार्यालय जाना ही होगा। यहां वे अपने एकेडमिक दस्तावेज का वेरीफिकेशन कराएंगे। लाइन छोटी हुई तो ठीक वर्ना इसमें अलग से समय लगेगा। यही नहीं पैसों की बर्बादी भी।
युवाओं ने ठुकराया ई-रोजगार
जिला रोजगार एवं मार्गदर्शन केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी से अक्टुबर तक १६०३९ युवाओं ने अपना पंजीयन कार्यालय पहुंचकर ऑफ लाइन मोड से कराए। जबकि ऑनलाइन फार्म यानि ई-रोजगार के माध्यम से इन दस महीनों में महज ३५७० युवाओं ने ही पंजीयन कराया।
सोमवार 19 अक्टुबर की स्थिति में 64 युवा रजिस्ट्रेशन के लिए सीधे कार्यालय पहुंचे तो वहीं महज तीन ही ई-रोजगार फार्म लेकर यहां आए। इससे साबित होता है कि डिजिटल इंडिया के जमाने में यदि युवाओं को थकाऊ व खर्चिली सर्विस दी गई तो उन्हें इसे ठुकराने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
इंटरनेट कैफे का मनमाना चार्ज
ई-रोजगार के मार्फत पंजीयन या अन्य कार्यों के लिए कई ग्रामीण और शहरी युवा इंटरनेट कैफे या च्वॉइस सेंटर्स के दरवाजे खटखटाते हैं। ऐसे में इंटरनेट कैफे फार्म भरने के एवज में पचास से सौ रुपए तक चार्ज करते हैं। तो वहीं च्वॉइस का रेट कार्ड भी कुछ ऐसा ही है।
रोजगार कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो ई-फार्म भरने के बाद सिर्फ जनरेटेड कोड की जरूरत है, युवा इसे लिखकर ला सकते हैं। लेकिन च्वॉइस और इंटरनेट कैफे अपनी जेब हरी करने के लिए इसका भी जबरन प्रिंट देते हैं। जिससे चार्ज और बढ़ जाता है। यही वजह है कि युवाओं ने दोहरी नुकसान भरी इस सर्विस का फायदा लेने के बजाए सीधे रोजगार कार्यालय जाना सही समझा है।
रोजगार कार्यालय में भी कम नहीं दिक्कतें
रोजगार पंजीयन की हकीकत जानने जब ‘पत्रिकाÓ की टीम ने कार्यालय में मौजूद युवाओं से चर्चा की। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन तो वैसे ही सिरदर्द बना हुआ है, लेकिन ऐसे ही हालात यहां भी है। अक्सर सर्वर डाउन हो जाता है। लंबी लाइन लगा रहे युवा इससे काफी परेशान होते हैं। वैसे तो चार काउंटर है, लेकिन सभी में काम कम ही होता है।
जिला बंटने के बाद यह समस्या कम हो जानी चाहिए थी पर आलम आज भी पहले जैसा ही है। उपसंचालक, रोजगार एवं मार्गदर्शन केंद्र आरएस नेताम ने बताया कि ई-रोजगार योजना युवाओं का समय बचाने में कारगर है। ऑनलाइन पंजीयन होने के बाद उन्हें महज पांच मिनट से भी कम समय में प्रमाण पत्र मिल जाता है। इसमें अब तक शहरी युवा ही आ रहे हैं। ग्रामीण युवाओं का ई-पंजीयन कम हो रहा है।
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