जेईई मेन उतना ही इम्पोर्टेन्ट है जितना एडवांस्ड। स्टूडेंट एडवांस्ड की तैयारी करने पर मेन में कम फोकस कर देते हैं। इस वजह से एग्जाम में खासी परेशानी हो सकती है। कई बार पेरेंट्स एडवांस की तैयारी पर ज्यादा दबाव डालते हैं लेकिन बच्चों को पता होता है, कि वह किस सब्जेक्ट की तैयारी अच्छे से कर सकता है, लेकिन खुल कर अपनी बात नहीं रख पाते हैं।
स्टूडेंट को एडवांस्ड के बजाय मेन पर ज्यादा ध्यान देना होगा नहीं तो आईआईटी की चाहत में टॉप पांच एनआईटी के कॉलेज छूट जाएंगे। यह जानकारी सभी शहर के बच्चों के लिए जरूरी है। जेईई मेन, एडवांस्ड का प्री क्वालिफांइड राउंड है। इससे काउंसलिंग से एनआईटी, ट्रिपल आइटी में सीधे एडमिशन मिलता है।
इसमे साथ ही देश के प्रमुख महत्वपूर्ण संस्थान डीयू, जामिया और देश के सभी स्टेस के कॉलेजों में भी एडमिशन मिलता है। उदाहरण के लिए रायपुर से 15000 हजार जनरल केटगरी के बच्चों में १०० बच्चे से ज्यादा पांच हजार रैंक में आते हैं। इससे उनकी सफलता के अनुपात किसी तरह कम नहीं है, काम तो 10 हजार रैंक से भी चल जायेगा।
एेसी स्थिति में जेईई मेन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। एग्जाम के रिजल्ट के बाद ग्राफ देखें तो १५ हजार में १५० से ३०० बच्चे ही एडवांस्ड में अच्छा स्कोर कर पाते हैं, इन्हीं कारणों से मेन पर फोकस ज्यादा जरूरी है। इससे बेटर ऑपशन भी उपलब्ध रहते हैं।
जेईई एडवांस्ड में सिर्फ क्वालिफाइड करना पर्याप्त नहीं, अच्छी रैंक भी जरूरी है। २००० से ५००० रैंक से अच्छे ब्रांच मिल जाती हैं।- टॉप पांच आईआईटी में बेस्ट ब्रांच के लिए अंडर ३०० रैंक होना जरूरी है।- टॉप १० आईआईटी के लिए १००० रैंक जरूरी है।
लॉंंग हावर प्रिप्रेशन से ही जेईई क्रेक किया जा सकता है, मॉक टेस्ट निरंतर देते रहें इससे अपनी क्षमता पता रहती है। मॉक टेस्ट ज्यादा से ज्यादा कम्प्यूटर पर दें, इससे ऑनलाइन एग्जाम देने में आसनी होगी। टाइम टेबल में टॉपिक बना कर तैयारी करें। बैलेंस टाइम का सबसे ज्यादा ध्यान दें।
अक्टूबर से दिसंबर मेन टाइम है, इसके बाद बोर्ड एग्जाम पर फोकस करें। काउंसलर अमितोश तिवारी ने बताया कि जेईई की तैयारी आसान तो नहीं लेकिन करने से इसे आसान बनाया जा सकता है। जेईई मेन उतना ही इम्पोर्टेन्ट है जितना एडवांस्ड। जेईई मेन उतना ही इम्पोर्टेन्ट है जितना एडवांस्ड इसलिए फोकस होना जरूरी है।