स्कूलों से आमंत्रित की गई थी बेटियों को
कार्यक्रम के संयोजक नरेन्द्र यादव का कहना था कि नंदनी नगर में इस तरह का पहला आयोजन है। जिला भाजपा की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सेल ने नवरात्रि के सातवें दिन कन्या पूजा की कार्ययोजना बनाई थी। पूजा के लिए नंदनी नगर, टाउनशिप, अहिवारा सहित आसपास के स्कूलों में पढऩे वाली २-५ साल की बच्चियों को पालकों के साथ आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम के संयोजक नरेन्द्र यादव का कहना था कि नंदनी नगर में इस तरह का पहला आयोजन है। जिला भाजपा की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सेल ने नवरात्रि के सातवें दिन कन्या पूजा की कार्ययोजना बनाई थी। पूजा के लिए नंदनी नगर, टाउनशिप, अहिवारा सहित आसपास के स्कूलों में पढऩे वाली २-५ साल की बच्चियों को पालकों के साथ आमंत्रित किया गया था।
यह भी रहे कन्या पूजन में उपस्थित
कन्या पूजा महोत्सव में संसदीय सचिव लाभचंद बाफना, विधायक सांवला राम डाहरे, बेमेतरा विधायक अवधेश चंदेल, महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पांडेय, जिला भाजपा अध्यक्ष उषा टावरी, अहिवारा नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष मंजूलता यादव, जनपद पंचायत अध्यक्ष हर्षा लोकमणी चंद्राकर,स्काउट एवं गाउडस के आयुक्त गजेन्द्र यादव सहित अन्य शामिल हुए।
कन्या पूजा महोत्सव में संसदीय सचिव लाभचंद बाफना, विधायक सांवला राम डाहरे, बेमेतरा विधायक अवधेश चंदेल, महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पांडेय, जिला भाजपा अध्यक्ष उषा टावरी, अहिवारा नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष मंजूलता यादव, जनपद पंचायत अध्यक्ष हर्षा लोकमणी चंद्राकर,स्काउट एवं गाउडस के आयुक्त गजेन्द्र यादव सहित अन्य शामिल हुए।
इसलिए कन्या पूजा का महत्व
नवरात्रि नौं दिनों का वो त्योहार है जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि का अब समापन होने ही जा रहा है। नवमी का पूजन करने के बाद नवरात्रि का समापन किया जाएगा। मां दुर्गा का आठवां रुप महागौरी जिनकी पूजा अष्टमी के दिन की जाती है उन्होंने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कठोर ताप के कारण मां के शरीर का रंग काला पड़ गया था। इसके बाद भगवान शिव ने मां से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार किया और उन्हें गौर वर्ण प्रदान किया।
नवरात्रि नौं दिनों का वो त्योहार है जिसमें मां दुर्गा के अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि का अब समापन होने ही जा रहा है। नवमी का पूजन करने के बाद नवरात्रि का समापन किया जाएगा। मां दुर्गा का आठवां रुप महागौरी जिनकी पूजा अष्टमी के दिन की जाती है उन्होंने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस कठोर ताप के कारण मां के शरीर का रंग काला पड़ गया था। इसके बाद भगवान शिव ने मां से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार किया और उन्हें गौर वर्ण प्रदान किया।
इसके बाद से मां का नाम महागौरी हो गया क्योंकि भगवान शिव ने उन्हें जो गौर वरदान दिया उसका इतना तेज था कि उसे कोई टक्कर नहीं दे सकता था। माता महागौरी का स्वभाव बहुत ही शांत है, इनका गौर वर्ण है और इनकी चार भुजाएं हैं। एक हाथ अभयमुद्रा में है, एक हाथ में त्रिशूल है। एक हाथ में डमरू और एक हाथ में वरमुद्रा में है। जो महिलाएं मां महागौरी का पूजन करती हैं उन्हें विशेष वरदान मां देती हैं।