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उस वक्त गौरवपथ के विषय पर चर्चा चल रही है। विपक्ष का कहना था कि गौरवपथ नवीनीकरण का प्रस्ताव 406 करोड़ रुपए कहा हैै। इसे वित्तीय स्वीकृति देने का अधिकार सदन को है, लेकिन गौरवपथ के 406.26 करोड़ के प्रस्तावित कार्य की तकनीकी स्वीकृति अधीक्षण अभियंता से ली गई है। यह निगम अधिनियम के तहत सामान्य सभा को दी गई वित्तीय अधिकार के विपरीत है।
उस वक्त गौरवपथ के विषय पर चर्चा चल रही है। विपक्ष का कहना था कि गौरवपथ नवीनीकरण का प्रस्ताव 406 करोड़ रुपए कहा हैै। इसे वित्तीय स्वीकृति देने का अधिकार सदन को है, लेकिन गौरवपथ के 406.26 करोड़ के प्रस्तावित कार्य की तकनीकी स्वीकृति अधीक्षण अभियंता से ली गई है। यह निगम अधिनियम के तहत सामान्य सभा को दी गई वित्तीय अधिकार के विपरीत है।
टीप नहीं लिखी गई
1.50 करोड़ तक महापौर परिषद के वित्तीय अधिकार क्षेत्र में है। गौरवपथ के नवीनीकरण का मामला महापौर परिषद के माध्यम से सामान्य सभा में भेजा जाना था।, लेकिन शासन को भेजे गए प्रस्ताव में स्वीकृति के संबंध में टीप नहीं लिखी गई है।
1.50 करोड़ तक महापौर परिषद के वित्तीय अधिकार क्षेत्र में है। गौरवपथ के नवीनीकरण का मामला महापौर परिषद के माध्यम से सामान्य सभा में भेजा जाना था।, लेकिन शासन को भेजे गए प्रस्ताव में स्वीकृति के संबंध में टीप नहीं लिखी गई है।
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सत्तापक्ष के पार्षदों की मांग पर सभापति पी श्याम सुंदर राव ने आयुक्त को सात दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन सौंपने कहा। पार्षदों की ओर से अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद अधीक्षण अभियंता सहित अन्य अधिकारी सदन छोड़कर चले गए।
सत्तापक्ष के पार्षदों की मांग पर सभापति पी श्याम सुंदर राव ने आयुक्त को सात दिन के अंदर जांच प्रतिवेदन सौंपने कहा। पार्षदों की ओर से अधिकारियों पर आरोप लगने के बाद अधीक्षण अभियंता सहित अन्य अधिकारी सदन छोड़कर चले गए।
कारण बताओ नोटिस
इस मामले में निगम आयुक्त केएल चौहान ने वैशाली नगर जोन कमिश्नर आरके साहू और सहायक अभियंता बीके सिंग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 406 करोड़ के प्रस्तावित कार्य की अधीक्षण अभियंता से ली गई। तकनीकी स्वीकृति और नगरीय प्रशासन को भेजी गई। जानकारी में तकनीकी स्वीकृति का उल्लेख नहीं किए जाने की बात कही है।
इस मामले में निगम आयुक्त केएल चौहान ने वैशाली नगर जोन कमिश्नर आरके साहू और सहायक अभियंता बीके सिंग को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 406 करोड़ के प्रस्तावित कार्य की अधीक्षण अभियंता से ली गई। तकनीकी स्वीकृति और नगरीय प्रशासन को भेजी गई। जानकारी में तकनीकी स्वीकृति का उल्लेख नहीं किए जाने की बात कही है।