scriptबड़ी लापरवाही, साढ़े तीन करोड़ का नुकसान, बिना परमिट खड़े-खड़े कंडम हो गई 13 सिटी बसें | Bhilai municipal corporation | Patrika News

बड़ी लापरवाही, साढ़े तीन करोड़ का नुकसान, बिना परमिट खड़े-खड़े कंडम हो गई 13 सिटी बसें

locationभिलाईPublished: Jul 16, 2018 12:12:14 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

मेंटनेंस और रखरखाव के अभाव में शहर की सड़कों पर दौड़ रही अधिकतर सिटी बसें के उपकरण कंडम हो गई है।

city bus bhilai

बड़ी लापरवाही, साढ़े तीन करोड़ का नुकसान, बिना परमिट खड़े-खड़े कंडम हो गई 13 सिटी बसें

भिलाई. मेंटनेंस और रखरखाव के अभाव में शहर की सड़कों पर दौड़ रही अधिकतर सिटी बसें के उपकरण कंडम हो गई है। किसी बस के कांच टूट गए हैं, तो किसी के इंडीकेटर खराब हैं। डिसप्ले बोर्ड बंद है। कैमरा तो काम नहीं कर रहा है। सुपेला बस स्टैंड में खड़ी बसों की हालत तो अब ऐसी है कि इन्हें बिना मेंटनेंस के सड़क पर लाना मुश्किल है, लेकिन कोई इस ओर परिचालन करने वाले एजेंसी ध्यान नहीं दे रही है। दुर्ग-भिलाई अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसायटी के जिम्मेदार लोगों ने तो मानों सिटी बसों की मॉनिटरिंग से मुंह फेर लिया है।
ढाई साल से 13 बसें खड़ी
दुर्ग-भिलाई अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसायटी की सिटी बसों की हकीकत यह है कि चंदूलाल चंद्राकर बस स्टैंड ढाई साल से १३ बसें खड़ी हुई है। इनमें से सभी बसे के उपकरण खराब हो गई हैं। परमिट नहीं मिलने की वजह से बसें सुपेला बस स्टैंड में खड़ी है। कई बसों की हालत इतनी खराब है कि इन्हें सड़क पर लाना हो तो एक बस के पीछे लगभग डेढ़ से दो लाख रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे।
साढ़े तीन करोड़ का नुकसान
बसें से लोगों की गाढ़ी कमाई (शासन को दी गई टैक्स) से खरीदी गई है। इसके बावजूद जिम्मेदार लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। यदि बसों की कीमत पर गौर किया जाए तो एक बस की कीमत लगभग 25 लाख रुपए है। 13 मिनी बसों की कीमत लगभग तीन करोड़ रुपए होती है। इसके अलावा शुरुआत में बसों के परमिट और इश्योरेंस पर सोसायटी ने ही कराया था। इस पर भी लगभग 50 लाख रुपए खर्च हुए होंगे। इस तरह से बसों पर 3.50 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। जो कि सीधे तौर शासकीय संपत्ति का नुकसान है।
जरूरत नहीं थी तो खरीदी क्यों
सवाल यह है कि बसों को चलाना नहीं था तो करोड़ों रुपए खर्च क्यों किए। जब बसों की जरूरत नहीं थी, तो बसोंं की खरीदी क्यों की गई? यदि लोगों की सुविधा के लिए बसें खरीदी गई है, तो बसों के परमिट लेने में तीन साल क्यों लग गए। ऐसी क्या व्यवस्था है कि २०१४ में बसें खरीदने के बावजूद अब तक कलक्टर की अध्यक्षता वाली सोसायटी को शासन की योजना के तहत खरीदी गई बसों का परिचालन के लिए परमिट नहीं मिल रही है। बसों के परिचालन की ओर कोई ध्यान क्यों नहीं दे रहा है। इसी बात का एजेंसी फायदा उठा रही है। बसों के मेंटनेंस पर कम, कमाई पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
बालोद-बेमेतरा तक चलाने मिली थी मंजूरी
26 अगस्त २०१७ को कलक्टर उमेश कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में दुर्ग-भिलाई अरबन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सोसायटी के साधारण सभा की बैठक हुई थी। बैठक में दुर्ग से अलग हुए जिले-बालोद और बेमेतरा तक ४-४ सिटी बसें चलाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई थी। नवंबर-दिसंबर तक बालोद व बेमेतरा रूट पर सिटी बसों का परिचालन शुरू हो जाना था। सात माह बीतने को है, लेकिन सिटी बसों के परिचालन का रूट क्लीयर नहीं हुआ है।
एसी खराब, फिर भी पूरा किराया
एयरपोर्ट से दुर्ग शहर तक चलने वाली सात एसी बस चलती है। इनमें से दो बसों का एसी खराब है। ऑपरेटर लोगों से पूरा किराया वसूल रहे हैं। इसे लेकर यात्री हंगामा भी कर चुके हैं। निर्धारित रूट पर समय पर बसों का परिचालन हो रहा है या नहीं। इसकी जांच करना क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी और सोसायटी के सचिव निगम आयुक्त की जिम्मेदारी है, लेकिन देख नहीं रहे हैं।
बसों का ऐसे किया जा रहा है इस्तेमाल
कंडम हो रही बसें किसी काम नहीं आ रही है ऐसी बात भी नहीं है। बस स्टैंड में खड़ी बसों के पाटर््स, सड़कों पर दौडऩे वाली बसों के काम आ रहे हैं। सड़क पर चल रही किसी बस का टायर पंचर हो जाए तो स्टैंड में खड़ी बस का टायर निकाल कर बदल दिया जाता है। इसी तरह से बैटरी सहित अन्य पाट्र्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
बसों में इस तरह की है खामियां
दुर्ग-भिलाई, कुम्हारी और अहिवारा रूट पर चलने वाली सिटी बसों का डिस्प्ले बोर्ड खराब
10 बसों की विंडो कांच टूटे। कई कांच जाम हो गई है।
६ बसों के लाइट और इंडिकेटर खराब हैं।
४ बसों में टूल और चिकित्सा बाक्स गायब
३ बसों की सीट टूट-फूट गए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो