पंजी की जानकारी रजिस्टर्ड डाक से आयोग को भी भेजने कहा गया था। जिला निर्वाचन व कलेक्टर कार्यालय के अधिकारी कर्मचारी आरक्षण पंजी के बारे में पता ही नहीं लगा पाए। अब यह सवाल उठा रहा है कि वार्डों की आरक्षण पंजी विभाग में थी ही नहीं, तो वर्ष 2015 में भिलाई निगम के 70 वार्डों का किस आधार पर आरक्षण किया गया।
कलेक्टर ने पत्र के जवाब में कहा है कि निगम भिलाई के वार्डों का आरक्षण वर्ष २०००, २००5 और २०१० के स्थायी रजिस्टर की लेखबद्ध पंजी के संबंध में आयोग का पत्र प्राप्त हुआ था। निर्देश के अनुसार पंजी को खोजने के लिए एडीएम राजेश पात्रे की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी। जांच कमेटी ने संभावित विभिन्न शाखाओं में स्थायी रजिस्टर की लेखबद्ध को खोज किया, लेकिन पंजी नहीं मिली।
राज्य सूचना आयुक्त ने कलेक्टर अग्रवाल और तत्कालीन कलेक्टर आर शंगीता दोनों को १७ सितंबर को राज्य सूचना आयोग में उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत करने कहा है। सवाल यह है कि जब जिला निर्वाचन विभाग में वार्डों के आरक्षण की पंजी नहीं थी तो वर्ष 2015 में भिलाई निगम के 70 वार्डों के पार्षद पद के लिए आरक्षण किस आधार पर किया गया? वार्डों का आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिला के चक्रानुक्रम के अनुसार लॉटरी निकाली जाती है, लेकिन अफसरों ने बिना पंजी के वार्डों की लाटरी निकालकर आरक्षण कर दिया।
ओबीसी के आरक्षित होना था। वह अनारक्षित हो गया। कई ऐसे वार्ड थे जो अनारक्षित होना था। वह अनारक्षित नहीं हुआ। इससे कई लोगों को चुनाव लडऩे का अवसर नहीं मिल पाया। इसी तरह की गड़बड़ी न हो। इसलिए लॉटरी निकालने के दौरान ही वार्डों के आरक्षण की जानकारी रजिस्टर में लिपिबद्ध किया जाता है। पांच साल बाद जब वार्ड आरक्षण की नौबत आती है तो आरक्षित वर्ग को छोड़कर अन्य वर्ग की लॉटरी निकाली जाती है। इस प्रकार से रोटेशन में आरक्षण किया जाता है।
वार्ड-४ राधिका नगर और वार्ड-५ लक्ष्मी नगर पिछले चार चुनाव से एससी के लिए आरक्षित हुआ। जबकि तीन पंचवर्षीय चुनाव के बाद आरक्षण बदल जाना था। वार्ड-११ अंबेडकर नगर पिछले चार पंचवर्षीय चुनाव में महिला वर्ग के लिए आरक्षित ही नहीं हुआ। तीन चक्रानुक्रम में एक बार महिला के लिए आरक्षित हो जाना चाहिए था।
आम आदमी पार्टी के अली हुसैन सिद्दीकी ने सूचना के अधिकार के तहत ६७ वार्डों के आरक्षण की सालभर पहले १७ सितंबर २०१४ में जिला निर्वाचन विभाग से भिलाई नगर निगम के २०००, २००५ और २०१० में ६७ वार्डों के आरक्षण की लिपिबद्ध रजिस्टर की सत्यापित प्रतिलिपि की मांग की थी।