शासन ने ठेकेदारों की सहूलियत के लिए निजी लैब को भी मान्यता दे रखी है। इसी का फायदा ठेकेदारों द्वारा उठाया जा रहा है। सरकारी लैब की जांच नहीं होने पर ठेकेदारों को निजी लैब की रिपोर्ट पर भुगतान कर दिया जाता था। इन मामलों में भी अफसरों ने सरकारी रिपोर्ट का इंतजार किए बिना निजी लैब की रिपोर्ट पर भुगतान कर दिया।
निगम सभापति राजकुमार नारायणी ने जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सड़कों की टेस्टिंग और रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग उठाई थी। इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो उन्होंने 26 अक्टूबर 2017 को सूचना का अधिकार के तहत दस्तावेज की मांग की। इसमें रिपोर्ट से पहले ही भुगतान का खुलासा हुआ।
निगम में घटिया सड़कों और गुणवत्ताहीन निर्माण के कई मामले पहले ही खुल चुके हैं। इनमें सर्वाधिक मामले सड़कों के हैं। पोलसाय पारा चंडी मंदिर रोड, स्टेशन रोड, सरदार पटेल चौक से जवाहर चौक और पुराना बस स्टैंड दरगाह से शनिचरी बाजार वर्धमान धर्मशाला मार्ग, औद्योगिक नगर में कादम्बरी नगर पहुंच मार्ग, ओल्ड पद्मनाभर की अंदरूनी सड़कों के साथ दर्जनभर से ज्यादा सकड़ों गारंटी पिरियड में उखड़ चुकी है। वहीं सिकोला तालाब, शीतला तालाब, उरला नाला की रिटेङ्क्षनग वॉल भी घटिया निर्माण के कारणगिर चुकी है।
सीसी रोड बनाने के लिए सीमेंट-53 ग्रेड, २० मिलीमीटर साइज की गिट्टी, रेत और पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कांक्रीट का मिश्रण तैयार करने के लिए सभी का एक स्टैंडर्ड मानक है। इसे एम-३० कांक्रीट कहा जाता है।
वार्ड-51
नंद फ्रेब्रिकेशन से धनोरा रोड तक सीसी रोड, सैम्पल लिया 29 दिसंबर 2017 को, रिपोर्ट 7 मार्च 2018 को, कंप्रेसिंग स्ट्रेन्थ 75 फीसदी से कम, सड़क की लागत 18 .70 लाख, 10.90 फीसदी बिलो पर ठेका, 22 जनवरी 2018 को भुगतान। ठेकेदार सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन।
आजाद चंद्रशेखर स्कूल से योगी पान सेंटर तक सीसी रोड, सैम्पल 30 दिसंबर 2017 को लिया, रिपोर्ट 8 मार्च 2018 को, कंप्रेसिंग स्ट्रेन्थ कम पाया गया, सड़क की लागत 18.81 लाख, 10.55 फीसदी बिलो रेट पर ठेका, 22 फरवरी 2018 को भुगतान, ठेकेदार श्रीकंस्ट्रक्शन।
सभापति नगर निगम राजकुमार नारायणी ने बताया कि अफसरों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर गड़बड़ी को अंजाम दिया है। इसकी जांच कर अफसरों व ठेकेदार दोनों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना चाहिए। मामले की शिकायत मुख्यमंत्री व नगरीय प्रशासन मंत्री से भी की जाएगी। कार्रवाई नहीं हुई तो न्यायालय में परिवाद दायर कर कार्रवाई की मांग की जाएगी।