अन्य वर्ग के लोगों को उन निकायों से चुनाव लडऩे का मौका नहीं मिलेगा। एक्ट में यह प्रावधान है कि जब तक राज्य या भारत सरकार से स्वीकृति नहीं मिल जाती है तब तक आर्थिक जातिगत जनगणना के आंकड़े को किसी भी प्रशासनिक और वैधानिक प्रक्रिया में मान्य नहीं है। इस वजह से 1982 के आर्थिक जातिगत जनगणना के आंकड़े में बढ़ी हुई जनसंख्या को जोड़कर आरक्षण किया जाता है। इसी के मुताबिक 18 सितंबर को प्रदेश के नगर पालिक निगम के महापौर, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के अध्यक्ष पद का आरक्षण होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति मुक्त और महिला सीट का उसी वर्ग के लिए ही आरक्षण होगा। केवल अन्य पिछड़ा वर्ग और अनारक्षित सीट में ही बदलाव होगा।
1. छत्तीसगढ़ नगर पालिका (महापौर/ अध्यक्ष) के पद का आरक्षण अधिनियम 1999 के अनुसार किया जाता है। इस नियम मुताबिक प्रदेश के नगर पालिक निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों की कुल आबादी में से जातिगत आबादी का प्रतिशत के अनुसार निगम के महापौर का पद, परिषद एवं पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण का प्रावधान है। इसी नियम के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग महापौर और अध्यक्ष पद का आरक्षित करेगा।
2. छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा-10/क में चक्रानुक्रम का प्रावधान है। इस नियम के मुताबिक पहले से पारित आरक्षण चक्रानुक्रम (रोटेशन)में चलता रहेगा।
सबसे पहले अनुसूचित जाति (एससी) के लिए सीट आरक्षित की जाएगी। प्रदेश के 13 निगम में से तीन सीट एससी के लिए आरक्षित होगी। अधिनियम के मुताबिक एससी सीट के आरक्षण के लिए प्रदेश के 13 नगर पालिक निगम की कुल आबादी में जितनी फीसद एससी की आबादी होगी। उतनी फीसद सीट एससी के लिए आरक्षित किया जाती है। 33 फीसद महिला आरक्षण के मुताबिक एक सीट महिला के लिए आरक्षित होगी। दो एससी मुक्त होंगे। उपसचिव राज्य निर्वाचन आयोग एसआर बांधे ने बताया कि नियम के मुताबिक सीट आरक्षित की जाती है। आरक्षण की प्रक्रिया में सबकुछ पारदर्शी है। इसमें कोई गड़बड़ी वाली बात नहीं है।
ऐसे बदल सकता है निकायों के आरक्षण का समीकरण भिलाई नगर पालिक निगम 2015 में अनारक्षित था। देवेन्द्र यादव चुनाव लड़कर महापौर बने। इस बार ओबीसी पुरूष के लिए आरक्षित हो सकता है।
चरोदा नगर पालिक निगम 2015 में एससी महिला के लिए आरक्षित हुआ था। चंद्रकांता मांडले महापौर निर्वाचित हुई। इस बार एसएसी मुक्त के लिए आरक्षित हो सकता है।
दुर्ग नगर पालिक निगम 2014 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित हुआ था। ओबीसी वर्ग से चंद्रिका चंद्राकर महापौर हैं। इस बार अनारक्षित हो सकता है।
रायपुर नगर पालिक निगम 2014 में सामान्य पुरुष के लिए आरक्षित हुआ था। इस बार वह सामान्य महिला या फिर ओबीसी मुक्त होने की संभावना है।